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छह बड़ी रेल परियोजनाएं लटकने से आर्थिक विकास बाधित

सुंदरगढ़ जिले के लिए प्रस्तावित रेल लाइनों के कनेक्शन में अनुचित देरी से आर्थिक विकास बाधित हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 09:51 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 09:51 PM (IST)
छह बड़ी रेल परियोजनाएं लटकने से आर्थिक विकास बाधित
छह बड़ी रेल परियोजनाएं लटकने से आर्थिक विकास बाधित

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के लिए प्रस्तावित रेल लाइनों के कनेक्शन में अनुचित देरी से आर्थिक विकास बाधित हुआ है। एक या दो नहीं, बल्कि कुल छह रेललाइन कनेक्शन योजना सर्वेक्षण में अटकी हुई है। इन लाइनों के लिए रेलवे बोर्ड की ओर से करोड़ों रुपये का प्राक्कलन किया गया है। भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार द्वारा हरी झंड़ी नहीं दिखाए जाने तथा स्थानीय जन प्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति के अभाव के कारण वर्षो से यह परियोजनाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। आज तक इन परियोजनाओं पर कोई पैसा खर्च नहीं हुआ है।

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रॉक्सी-बासपानी वाया कोइडा (57.5 किमी) के लिए 1747.29 करोड़ रुपये, किरीबुरू-बड़बिल (24.2 किमी) के लिए 705.17 करोड़ रुपये, कलुंगा-लठीकटा(15 किमी) के लिए 150 करोड़ रुपये का प्राक्कलन किया गया है। दो मई 2018 को सर्वेक्षण किया गया था। निर्धारित समय के भीतर काम पूरा करने के लिए रेलवे बोर्ड को भी प्रस्तावित किया गया था। तीन मई, 2017 को कोइडा-बड़बिल लाइन का सर्वेक्षण कर रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत किया गया था। इसी तरह झारसुगुड़ा-अंबिकापुर, किरीबुरू-गुवा रेललाइन का सर्वेक्षण किया गया। कहा जा रहा है कि निर्माण के लिए रेलवे बोर्ड से हरी झंड़ी भी मिल गई है। राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। जल्द काम शुरू होता है तो इन सभी रेल लाइन के 2023-24 तक पूरा होने की उम्मीद है। लेकिन यह सभी परियोजनाएं किस तरह आरंभ होगी, इसके लिए कोई भी प्रयासरत नहीं है। भूमि अधिग्रहण की समस्या के कारण प्रस्तावित रेलवे लाइन कनेक्शन का काम केवल प्रस्ताव तक में ही सीमित रह गई है। परिणामस्वरूप, जिले में खनिजों के परिवहन के लिए संबंधित क्षेत्र में दैनिक यातायात की समस्या अधिक जटिल होती जा रही है। बंद खदानों की नीलामी की जाएगी और वहां से लौह अयस्क खनन शुरू होगा। सभी संभावना के मद्देनजर यह छह परियोजनाओं की आवश्यकता है। तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे लाइन का काम भी कछुए की गति से चल रही है। 1928 करोड़ रुपये की 154 किमी तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे परियोजना पर अब तक 839 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाया है। इससे केवल तालचेर से सोनाखनी तक केवल 20 किमी रेललाइन का ही निर्माण हो पाया है। अगला चरण सोनाखनी से 23.5 किमी तक का काम भूमि अधिग्रहण के लिए आगे नहीं बढ़ा है। राज्य सरकार ने आवश्यक 916 एकड़ भूमि का अधिग्रहण तो किया है, लेकिन इसे कानून के अनुसार रेलवे विभाग को नहीं सौंपा है। इसके बावजूद 2020-21 में 140 करोड़ मंजूर किए गए थे।

काफी हद तक समाप्त होगी स्मार्ट सिटी की यातायात समस्या : वर्तमान बजट में इस परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। कहीं लाठीकाटा-कलुंगा रेलवे स्टेशन को जोड़कर कही पर साइडिग किए जाने पर स्मार्ट सिटी राउरकेला की यातायात समस्याओं को काफी हद तक समाप्त किया जा सकता है। रेलवे जिले से करोड़ों रुपये का राजस्व पा सकती तथा रोजगार के अवसर भी पैदा होते। इस सभी रेलवे परियोजना के आगे नहीं बढ़ने से जिले का आर्थिक विकास जितना प्रभावित होगी, उससे कहीं ज्यादा ट्रैफिक समस्या उत्पन्न करेगी। जिले के आर्थिक विकास के मद्देनजर, राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण अनुमति के लिए हरी झंडी देने के लिए रेलवे बोर्ड को पत्र लिखने की आवश्यकता है। अन्यथा, अगले कुछ वर्षों में जिले के परिवहन क्षेत्र में गंभीर यातायात समस्या देखी जाएगी।


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