शव का पोस्टमार्टम बिसरा में, हाउस 20 किमी दूर
बिसरा प्रखंड में बना पोस्टमार्टम हाउस किसी के काम नहीं आ रहा है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : बिसरा प्रखंड में बना पोस्टमार्टम हाउस किसी के काम नहीं आ रहा है। पोस्टमार्टम हाउस तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। यहां शव को रखने की व्यवस्था भी नहीं है। इस कारण बिसरा सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर बिसरा प्रखंड की 12 व नुआगांव प्रखंड के सात पंचायतों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अगर इलाज के दौरान किसी की मौत हो जाती है तो लोगों को शव रखने के लिए सोचना पड़ता है। उक्त पोस्टमार्टम हाउस का रखरखाव नहीं होने के कारण इसकी हालत दयनीय होती जा रही है। यहां चिकित्सा सेवा की अपेक्षा पोस्टमार्टम हाउस व शवगृह नहीं होने के कारण मरीज के मरने के बाद स्वजनों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्पताल से पुराना बिसरा जाने वाले मुख्य मार्ग पर 100 मीटर दूर जंगल में परिसर में उक्त पोस्टमार्टम हाउस को बनाया गया है। यहां से गुजरने वाली मुंबई-हावड़ा रेल लाइन की दूसरी ओर एक छोटे से खपरैल मकान में पिछले 30 सालों से शवों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। वर्तमान उक्त मकान में केवल ढ़लाई छत की गई है। यहां तक जाने के लिए सड़क नहीं है। बारिश अथवा शाम के समय वहां तक पहुंचना संभव नहीं है। शव को कंधे पर उठाकर स्वजनों को रेललाइन पारकर ले जाना पड़ता है। वहीं, वर्तमान समय में थर्ड रेललाइन का काम चलने के कारण पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचना और मुश्किल हो गया है। यही नहीं, पोस्टमार्टम हाउस के चारों ओर गंदगी जमा होने के साथ-साथ झाड़ियां उग आने से यहां बैठने तक की जगह नहीं है। उक्त मोर्ग हाउस में शव रखने की व्यवस्था नहीं होने के कारण 20 किमी दूर राउरकेला में रात को शव रखने के लिए जाना पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि बिसरा प्रखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के साथ-साथ यहां अधिकांश गरीब लोग रहते है। इस कारण उन्हें शव रखने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह समस्या काफी समय से लगे रहने के बावजूद उपयुक्त समाधान के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। इसलिए तुरंत पोस्टमार्टम हाउस जाने के लिए एक अदद सड़क बनाने अथवा नया पोस्टमार्टम हाउस तैयार करने की मांग हो रही है।