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शोषण की शिकार महिलाओं के लिए वरदान हैं चांदमनी

ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षा गरीबी एवं बेरोजगारी के कारण लोग दलाल एवं बिचौलियों के झांसे में आ रहे हैं एवं शोषण का शिकार हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 01:14 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:22 AM (IST)
शोषण की शिकार महिलाओं के लिए वरदान हैं चांदमनी
शोषण की शिकार महिलाओं के लिए वरदान हैं चांदमनी

जागरण संवाददाता, राउरकेला : ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षा, गरीबी एवं बेरोजगारी के कारण लोग दलाल एवं बिचौलियों के झांसे में आ रहे हैं एवं शोषण का शिकार हो रहे हैं। उन्हें अच्छी नौकरी का झांसा देकर दलाल शहरों ले जा रहे हैं एवं शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के लाठीकटा प्रखंड अंतर्गत एरगेडा गांव में गरीब किसान परिवार में जन्म लेने वाली चांदमनी सांडिल बचपन से यहसब देखती आई हैं एवं खुद इसकी भुक्तभोगी भी है। लोगों को न्याय दिलाने के लिए उच्च शिक्षित होने के बावजूद उन्होंने नौकरी नहीं की और ना ही शादी की तथा आजीवन अपनी मुहिम जारी रखने का प्रण किया है। इस काम में उन्हें जेल भी जाना पड़ा है। दलालों के चंगुल में फंसकर दिल्ली, जम्मू, श्रीनगर, मुंबई एवं अन्य शहरों में गई। दर्जनों युवती व महिला मजदूरों को वह मुक्त करा चुकी हैं।

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छात्र जीवन से ही शुरू किया संघर्ष : चांदमनी सांडिल बताती हैं कि 1998 में जलदा स्थित प्रियदर्शिनी कॉलेज में इंटर द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। सभी कॉलेज की छात्राओं को छात्रवृत्ति मिली पर उन्हें वंचित रखा गया। छात्राओं ने प्रिसिपल से मिलने की योजना बनायी। एक साथ प्रिसिपल के कक्ष तक गई पर अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई एवं उन्हें कक्ष में ढकेल कर सभी वहां से भाग गई। बिना अनुमति के अंदर आते देख प्रिसिपल प्रभाती भुइयां ने उन्हें फटकार लगाई। उस दिन चांदमनी अपने बल पर छात्राओं को छात्रवृत्ति दिलाने का संकल्प लिया। जिला कल्याण अधिकारी से मिलकर सारी बात बताई। अधिकारी ने उस पर विश्वास कर उनके हाथ में 1.80 लाख का चेक दिया था।

दर्जनों महिलाओं को कराया मुक्त : दलालों के चंगुल में फंसकर कश्मीर में बंधक बनाई गई 11 महिला समेत 18 श्रमिकों को मुक्त कराने में चांदमनी की अहम भूमिका रही। लाठीकटा के कर्लाखमन, सर्गीगढ़, कुचैता, केबलांग, बंडामुंडा, बिसरा, जड़ाकुदर के इन मजदूरों को देवगांव का दलाल ले गया था। नौ अगस्त 2018 को राउरकेला से कश्मीर के राजबाग गई थी एवं उन्हें मुक्त कराया था। काफी संघर्ष के बाद श्रम विभाग व पुलिस की टीम वहां जाने के लिए तैयार हुई थी। 2017 लाठीकटा की बेटी मौसमी हरियाणा में उत्पीड़न की शिकार हुई थी। वहां से उसे पुलिस की मदद से मुक्त कराकर परिवार वालों तक पहुंचाया। 2013 में मनको गांव के वृद्ध दंपती को हाथी ने कुचल दिया था। डीएफओ कार्यालय से मना करने पर राज्य सरकार से अपील की। दंपती के चार बेटियों की शादी हो गयी थी उन बेटियों को छह लाख रुपये मुआवजा दिलाया था। पति की सर्प दंश से मौत के बाद सहायता राशि से वंचित सेवती को लंबे संघर्ष के बाद चार लाख रुपये की सहायता दिलायी। 2015 में गुजरात में बंधक बनाये गए दो महिला एवं दो पुरुष श्रमिकों को भी श्रम विभाग की सहायता से मुक्त कराया। 2019 में गर्भवती महिला को चिकित्सा की जरूरत थी। रात ग्यारह बजे दस किलोमीटर दूर अकेले गई एवं एंबुलेंस लेकर पहुंचकर उसकी सहायता की थी।

मानव तस्करी के खिलाफ मुहिम : चांदमनी गांव-गांव में मानव तस्करी रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं एवं लोगों को श्रम विभाग से अनुमति लेकर बाहर जाने, शोषण का शिकार होने पर न्याय के लिए आवेदन करने के लिए जागरूक कर रही हैं। शोषण के शिकार लोगों को श्रम विभाग की सहायता से मजदूरी व क्षतिपूर्ति दिलाने का काम भी वह करती आई हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए लाठीकटा, नुआगांव, कुआरमुंडा, कोइड़ा आदि क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। महिलाओं के लिए थाना घेराव, एसपी, एडीएम व उपजिलापाल कार्यालय जाना, जगह-जगह नुक्क्ड़ सभा व जनसंपर्क करना उनकी दिनचर्या में है। इसके लिए वह किसी की सहायता नहीं लेती बल्कि अपने पैसे से ही यह काम करती हैं।

आंदोलन में जाना पड़ा जेल, परिवार वालों ने घर से निकाला : शोषण मुक्त समाज गठन के लिए चांदमनी सांडिल हमेशा तैयार रहती हैं। अपना काम छोड़ दिन रात दूसरों की सेवा में लगा रहा परिवार वालों को भी पसंद नहीं है। अगस्त 2007 में टायंसर स्थित स्पंज संयंत्र में मजदूरों की छटनी के खिलाफ आंदोलन किया था जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा था। परिवार के लोग उन्हें बाहर जाने तथा जोखिम उठाने से रोकते रहे हैं पर वह अपने काम में अडिग रहती हैं। 2011 में ऐसी परिस्थिति आयी की उन्हें परिवार के लोगों ने घर से निकाल दिया था। कई दिनों तक परिवार से अलग रहने के बाद दुबारा उसे घर में जगह दी गयी।

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मिले पुरस्कार :

संबलपुर विश्वविद्यालय से 2003 में स्नातक की डिग्री लेने वाली चांदमनी सांडिल को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

1. 2015 में वीरांगना सावित्री फुले नेशनल फेलोशिप अवार्ड, नई दिल्ली।

2. 2016 में अष्ट भूजा सम्मान, बलांगीर ओडिशा।

3. 2016 में श्री गुंडिचा सम्मान, ग्रैंड रोड, पुरी।

4. राज्य स्तरीय विश्व देव समाज सम्मान, कटक।

5. बाल अपराध उन्मूलन पर भारत यात्रा सम्मान।

6. 2017 में महिला सशक्तिकरण सम्मान, नोयड़ा, नई दिल्ली।

7. 2018 में उत्कल ज्योति सम्मान, भुवनेश्वर ओडिशा।

8. 2018 नेपाल काठमांडू में प्राइड आफ नेशन प्रतिभा सम्मान।


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