Move to Jagran APP

तीन हजार में प्लॉट लेकर 30 लाख में बिक्री

राउरकेला विकास प्राधिकरण एवं हाउसिग बोर्ड की ओर से 1980 से 85 के बीच बसंती कालोनी छेंड कालोनी कलिग विहार आदि इलाके में बोर्ड व प्राधिकरण के अधिकारियों की सांठगांठ से व्यवासायी व पूंजीपति लोग फर्जी एनओसी लेकर एक से अधिक प्लाट पर कब्जा किये हुए थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 02:30 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 02:30 AM (IST)
तीन हजार में प्लॉट लेकर 30 लाख में बिक्री
तीन हजार में प्लॉट लेकर 30 लाख में बिक्री

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला विकास प्राधिकरण एवं हाउसिग बोर्ड की ओर से 1980 से 85 के बीच बसंती कालोनी, छेंड कालोनी, कलिग विहार आदि इलाके में बोर्ड व प्राधिकरण के अधिकारियों की सांठगांठ से व्यवासायी व पूंजीपति लोग फर्जी एनओसी लेकर एक से अधिक प्लाट पर कब्जा किये हुए थे। 20 साल से यहां कोई हाउसिग प्रोजेक्ट नहीं होने के कारण लोगों को घर बनाने के लिए जमीन की सख्त जरूरत है। इसका लाभ उठाते हुए लोग तीन हजार में खरीदी गयी जमीन अब सौ से डेढ़ सौ गुणा अधिक 30 से 40 लाख रुपये में बेच कर मालामाल हो रहे हैं।

loksabha election banner

छेंड कालोनी में ई टाइप प्लॉट जो 750 वर्गफीट का है उसे 2800 से 3000 रुपये में खरीदा गया था। अब उसकी कीमत 35 से 40 लाख रुपये हो गयी है। एलसीआर ब्लाक में 1100 वर्ग फीट है उसे 10 से 12 हजार रुपये में खरीदा गया था। उसका दाम अब 50 से 60 लाख रुपये है। वहीं एल प्लाट जो 1500 वर्ग फीट का है उसका दाम 60 से 70 लाख रुपये हो गया है। केवल छेंड कालोनी ही नहीं बल्कि बसंती कालोनी व कलिग विहार में भी इसी दर से जमीन बेची जा रही है। नियम के अनुसार प्लॉट आवंटन के तीन साल के अंदर ही निर्माण कार्य होना चाहिए और रिपोर्ट विभाग को देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर एलॉटमेंट रद्द होने का नियम है पर 1980-85 में आवंटित सैकड़ों प्लॉट ऐसे हैं जहां निर्माण कार्य नहीं किया गया है। कई ऐसे लोग हैे जिनके पास अपना घर है पर फर्जी एनओसी लेकर एक से अधिक प्लाट अपने नाम करा लिये हैं। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के नाम पर जमीन ले रखे हैं। निर्माण कार्य नहीं करने के संबंध में भी कई तरह के बहाने विभाग के समक्ष पेश किये जाते रहे हैं। जमीन बिक्री करने वाले जिस दाम पर जमीन बेच रहे हैं उससे बहुत कम राशि विभाग में दिखा रहे हैं। डेढ़ दशक पूर्व राउरकेला के अतिरिक्त जिलापाल अरविद पाढ़ी ने इस मामले को गंभीरता से लिया था एवं निर्माण नहीं करने वालों को नोटिस दिया था तथा निर्माण नहीं कराने पर आवंटन रद्द करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद किसी का इस ओर ध्यान नहीं गया। शहर में दो दशक से हाउसिग बोर्ड की ओर से गृह निर्माण के लिए घर या प्लाट नहीं दिया गया है जिससे लोगों के पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं हैं। 2008 में हाईपावर कमेटी के द्वारा हाउसिग प्रोजेक्ट के लिए आरडीए को छेंड के पास 108 एकड़ जमीन मुहैया कराया गया था। आरडीए की ओर से यहां 20 हजार मकान बनाकर आवंटित करने की योजना थी पर यह योजना भी ठंडे बस्ते में चला गया। इससे बड़ी बात यह है कि जो जमीन आरडीए को मिला था उस जमीन का आधा हिस्सा अब अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.