भीम भोई थे ओड़िया साहित्य के पुरोधा : दास
भीम भोइ ओड़िया साहित्य के पुरोधा थे। उनका व्यक्तित्व एवं जीवन कष्टमय होने के बावजूद उनका साहित्य मार्मिक एवं उच्च कोटि का था।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : भीम भोइ ओड़िया साहित्य के पुरोधा थे। उनका व्यक्तित्व एवं जीवन कष्टमय होने के बावजूद उनका साहित्य मार्मिक एवं उच्च कोटि का था। देवगांव स्थित गांधी कॉलेज में ओड़िया साहित्य विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रियदर्शिनी महिला कालेज की प्राध्यापिका डॉ. प्रभामंजरी दास ने यह बात कही। प्रिसिपल संध्यारानी बराल की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्ठी में राउरकेला कॉलेज के ओड़िया विभाग के प्रमुख करुणाकर पाटसानी ने भीम भोई के जीवन आदर्श पर प्रकाश डाला। कहा कि भीम भोई जन्म से दृष्टिहीन थे। इस संबंध में अलग अलग मत है। वे दृष्टिहीन होने के बावजूद अपने अंतर्मन से निकली बातों को साहित्य का रूप दिया। उनके साहित्य पर अब भी शोध किया जा रहा है। इस मौके पर ओड़िया विभाग के विद्यार्थी रानू पाढ़ी ने भीम भोइ पर लेख पढ़ा। प्रोफेसर रमेश नाग साहित्य एवं विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला। अंत में शुभस्मिता जेना ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रिसिपल बराल ने मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता को पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया। सुजाता होता, बबीता टुडू, बनजा मिश्र, यज्ञेसिनी छत्रिया, ममता चक्र, प्रियरंजन दास, शत्रुघ्न किसान, अलविन रिका खलको समेत अन्य लोगों ने संगोष्ठी आयोजन में सहयोग किया।