गुंडिचायात्रा के लिए रथ तैयार
जगन्नाथ मंदिर समेत अन्य जगन्नाथ मंदिरों में रथों का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इन्हें सजाने का काम शुरू है।
राउरेकला, जेएनएन। जगन्नाथ संस्कृति तथा परंपरा अनोखी है। प्रभु जगन्नाथ ही ऐसे भगवान हैं जो भक्तों को सड़कों और बड़दांड में दर्शन देते हैं। उनकी पूजा अनंत फलदायी होती है। इस वर्ष 14 जुलाई को भगवान अपने भाई बहन के साथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर मौसी के घर जाएंगे।
सेक्टर-3 जगन्नाथ मंदिर समेत अन्य जगन्नाथ मंदिरों में रथों का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इन्हें सजाने का काम शुरू है। देव स्नान पूर्णिमा पर स्नान के बाद भगवान बीमार पड़ गये हैं एवं अणवसर गृह में उनका उपचार चल रहा है। इन दिनों भक्त उनका दर्शन नहीं कर पा रहे हैं। केवल उनके प्रिय सेवक ही उनका विभिन्न तरह से उपचार कर रहे हैं।
परंपरा के अनुसार 9 जुलाई को उनकी तबीयत में सुधार आएगा एवं इस दिन उनके शरीर पर खड़ी लागी यानी चॉक लगाया जायेगा। 13 जुलाई को स्वस्थ होने पर उनकी आंखें खुलेंगी एवं उनका नेत्रोत्सव होगा। इसी दिन भगवान का नव यौवन दर्शन जगन्नाथ मंदिरों में होगा।
भगवान के स्वस्थ्य होने पर इसी दिन गुंडिचा मंदिर मां मौसी के घर से उन्हें आने का निमंत्रण दिया जायेगा। भगवान मां लक्ष्मी को बताये बगैर 14 जुलाई को भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ मौसी मां के घर के लिए निकल पड़ेंगे। भगवान जगन्नाथ अपने रथ नंदी घोष, भाई बलभद्र तालध्वज तथा बहन सुभद्रा अपने रथ दर्पदलन पर सवार होकर मौसी मां के घर जायेंगी। रास्ते में भक्त उनका दर्शन करने के साथ पूजा अर्चना करेंगे। उनके रथों को खींचना अनंत फलदायी माना जाता है। भगवान के भक्तों को इसका इंतजार है।