पुरी एसपी का भक्तों से फरमान: मंदिर से जाइए, मंदिर खुलने के बाद दर्शन करने आइए
श्रीमंदिर में पुलिस-सेवायत के बीच हुए विवाद की वजह से महाप्रभु के दर्शन करने आये भक्तों को निराश होना पड़ रहा है।
पुरी, जेएनएन। महाप्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर में पुलिस एवं सेवायत के बीच उपजे विवाद का समाधान होते न देख पुरी के एसपी डा. सार्थक षडंगी ने भक्तों से अनुरोध किया है कि वे श्रीमंदिर के सामने से जाएं मंदिर खुलने के बाद दर्शन करने के लिए आइएगा। यदि मंदिर नहीं खुलता है तो दर्शन नहीं होगा।
पुरी एसपी ने कहा कि आप समुद्र किनारे जाइए, अन्य मंदिरों में जाइए। यह असुविधा कहीं और नहीं है, इस तरह की असुविधा पहले भी होती रही है। वहीं श्रीमंदिर के बाहर हजारों की संख्या में भक्तों का जमावड़ा बढ़ते जा रहा है। जय जगन्नाथ के नारे से बड़दाण्ड गुंजायमान हो रहा है। एक समय तो ऐसा आया जब भक्तों के संयम का बांध टूट गया और भक्तों ने बैरिकेड को तोड़कर अन्दर घुसने का प्रयास किया। एसपी के इस बयान का भक्तों के साथ जगन्नाथ भक्तों ने निंदा की है।
उधर, विवाद जारी रहने से श्रीमंदिर में नीति नियम शुरू नहीं होने से महाप्रभु भी उपवास में हैं। भक्तों ने सीधे तौर पर इसके लिए सरकार एवं प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। हम दूर-दूर से आएं हैं भगवान का दर्शन करने के लिए हमें क्यों दर्शन करने से वंचित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि पुरी श्रीमंदिर में पुलिस-सेवायत के बीच उपजे विवाद का खामियाजा महाप्रभु के साथ देश भर से महाप्रभु का दर्शन करने आए श्रीजगन्नाथ भक्तों को भुगतना पड़ा है। शुक्रवार को ना ही श्रीमंदिर के अंदर का द्वार खुला और ना ही महाप्रभु की मंगल आरती या और कोई नीति हुई, जिससे श्रीमंदिर के बाहर हजारों की संख्या में उमड़ी भक्तों की भीड़ को निराश होना पड़ा है। मौके पर जिला प्रशासन एवं श्रीमंदिर प्रशासन के आला आधिकारी पहुंचकर स्थिति को सम्भालने में लगे हुए है।
पुरी के जिलाधीश एवं एसपी ने सेवायतों के साथ बैठक कर श्रीमंदिर की रीति नीति सामान्य करने के लिए एक नहीं दो-दो बार निवेदन किया। हालांकि श्रीमंदिर के सेवकों ने जिलाधीश के अनुरोध को ठुकराते हुए कहा है कि जब तक उक्त पुलिस कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने का लिखित आश्वासन नहीं दिया जाएगा, हम कोई भी सेवा कार्य नहीं करेंगे। बार-बार अनुरोध करने के बाद जब सेवायतों ने नहीं सुना तो फिर जिलाधीश ज्योति प्रकाश दास एवं एसपी सार्थक षडंगी श्रीमंदिर कार्यालय लौट आए।
पुरी जिलाधीश ज्योति प्रकाश दास ने कहा है कि हमने दो-दो बार सेवायतों के साथ चर्चा की है, उनसे कहा है ऐसी क्या बात है कि महाप्रभु उपवास में हैं और देश भर से आए भक्त महाप्रभु के बिना दर्शन किए लौट जाएंगे। बावजूद इसके सेवायत हमारी बात नहीं सुने हैं अब सेवायतों के ऊपर निर्णय लेने को छोड़ दिया गया है। श्रीमंदिर मुख्य प्रशासक प्रदीप महापात्र ने कहा है कि श्रीमंदिर की नीति में देरी हो रही है। अपने विवेक के अनुसार सेवायत काम करें।
उधर, हजारों की संख्या में भक्तों का हुजूम श्रीमंदिर के बाहर महाप्रभु की एक झलक पाने को बेताब नजर आया। विभिन्न बिहार, पश्चिम बंगाल, हिमांचल, झारखण्ड, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से आए भक्तों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। श्रीमंदिर के सामने इन भक्तों ने कहा कि हम इतनी दूर से महाप्रभु का दर्शन करने के लिए आए हैं, इनके आपसी विवाद के लिए हमें महाप्रभु का दर्शन नहीं मिल रहा है। कुछ भक्तों ने कहा कि हमारी आज ही ट्रेन है हमें दर्शन करने दो। भक्तों ने कहा कि इतना पैसा खर्च कर महाप्रभु के दरवाजे पर पहुंचने के बावजूद महाप्रभु का दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, यह ठीक नहीं है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक गुरुवार को जगन्नाथ जी के भीतर छु सेवक भवानी शंकर महापात्र अपने साथ कुछ भक्तों को लेकर सिंहद्वार के जरिए मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। सिंहद्वार के सामने तैनात पुलिस कर्मचारियों ने सेवक महापात्र से उनके साथ आ रहे भक्तों का परिचयपत्र मांगा। इससे पुलिस कर्मचारी एवं सेवक भवानी शंकर महापात्र के बीच पहले कहासुनी एवं फिर हाथापाई हुई जिससे सेवक भवानी शंकर महापात्र की नाक में गम्भीर चोट लग गई। इससे सिंहद्वार पर कुछ समय के लिए उत्तेजना का माहौल बन गया। भक्तों में भय का माहौल बन गया। इसके बाद सेवक भवानी शंकर महापात्र मंदिर के अन्दर भक्तों को छोड़ने के बाद सिंहद्वार थाना में पुलिस कर्मचारी विश्वनाथ परिजा के नाम पर लिखित शिकायत कर दी। हालांकि इससे पहले ही कांस्टेबल परिजा ने सेवक महापात्र के नाम पर सिंहद्वार थाना में ही शिकायत दर्ज कर दी थी।
गौरतलब है कि भीतरछु सेवक भवानी शंकर महापात्र जब तक सिंहद्वार के दरवाजे को स्पर्श नहीं करेंगे तब तक सिंहद्वार एवं अन्दर का दरवाजा नहीं खुलेगा, जो कि उनकी पारंपरिक सेवा है। पुलिस के बर्ताव से नाराज होकर भवानीशंकर महापात्र अपनी सेवा करने मंदिर नहीं गए, जिसके चलते महाप्रभु का मंदिर नहीं खुला और भक्तों को निराश होना पड़ा।