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महाप्रभु के बीमार होने के बाद अलारनाथ मंदिर में उमड़ा जगन्नाथ भक्तों का हुजूम

पौराणिक मान्यता है कि श्रीमंदिर में महाप्रभु के दर्शन के समान अलारनाथ के दर्शन से भी पुण्य मिलता है भ्‍गवान के दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी कतार अलारनाथ मंदिर में देखने को मिली।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 02:42 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 02:42 PM (IST)
महाप्रभु के बीमार होने के बाद अलारनाथ मंदिर में उमड़ा जगन्नाथ भक्तों का हुजूम
महाप्रभु के बीमार होने के बाद अलारनाथ मंदिर में उमड़ा जगन्नाथ भक्तों का हुजूम

भुवनेश्वर, जेएनएन। महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के बीमार पड़ जाने के बाद मंगलवार को भक्तों का हुजूम पुरी जिला के ही ब्रह्मगिरी में मौजूद भगवान अलारनाथ मंदिर में देखने को मिला है। सुबह से ही भक्तों की लम्बी कतार अलारनाथ मंदिर में देखने को मिली है। प्रभु के अणवसर के समय में अलारनाथ की प्रसिद्ध खिरी भोग के लिए भक्त लालायित दिखे। आज सुबह से ही मंदिर के बाहर भक्तों की लम्बी कतार देखी गई है जो कि 15 दिन तक जारी रहेगी। 

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जानकारी के मुताबिक पवित्र देव स्नान पूर्णिमा में श्रीजीवों की स्नान यात्रा सम्पन्न होने के बाद अब महाप्रभु अणवसर गृह (प्रभु के बीमार पडऩे के बाद जहां उनका इलाज होता है, उसे अणवसर गृह कहा जाता है) में हैं। यहां पर 15 दिन तक महाप्रभु का इलाज होगा, प्रभु की गुप्त सेवा की जाएगी। उनकी चिकित्सा के लिए वैद्य बुलाए जाते हैं। देसी नुस्खों से इलाज में तुलसी दल, मौसमी फल, परवल का जूस, जड़ी बूटी काढ़ा पिलाया जाता है। 

पौराणिक मान्यता है कि 15 दिन तक वैद्य की सलाह पर महाप्रभु आराम करते हैं। इस दौरान महाप्रभु दर्शन नहीं देते हैं। मंदिर के पट 15 दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं। ओडिशा के लोगों की मान्यता है कि इस दौरान महाप्रभु जगन्नाथ सारे जगत के कष्ट अपने ऊपर ले लेते हैं।

ऐसे में इस दौरान पुरी श्रीमंदिर में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का दर्शन भक्तों को नहीं मिलेगा। मान्यता है कि इस दौरान ब्रह्मगिरी में मौजूद अलारनाथ मंदिर में भगवान अलारनाथ का दर्शन करने से प्रभु जगन्नाथ जी के दर्शन के बराबर ही पुण्य मिलता है। यही कारण है कि मंगलवार को अलारनाथ मंदिर में भक्तों की हजारों की संख्या में भीड़ देखने को मिली है। भक्तों के समागम को देखते हुए अलारनाथ मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 

रथयात्रा के पहले दिन भगवान स्वस्थ हो जाते हैं और अपनी बहिन सुभद्रा देवी, भाई बलराम के साथ अपनी मौसी के घर के लिए निकल पड़ते हैं। मौसी रोहिणी से भेंट करने गुंडिचा मंदिर जाएंगे। इसे ही रथयात्रा कहते हैं जो चार जुलाई से शुरू होगी। भगवान सात दिन तक भाई बहिन के साथ मौसी के घर पर रहते हैं। इसके बाद पुन: श्रीमंदिर वापस लौटते हैं, जिसे बाहुड़ा यात्रा कहते हैं। 

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