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अंधविश्वास के चक्कर में फंस पांच माह की मासूम को गर्म सुई से दागा

सुंदरगढ़ के काल्टा पंचायत अंतर्गत कोईड़ा के कोमडो गांव में पांच माह की बीमार बच्ची का इलाज करने के लिए परिजनों ने उसे गर्म सुई से आठ बार दगवाया।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 12:05 PM (IST)
अंधविश्वास के चक्कर में फंस पांच माह की मासूम को गर्म सुई से दागा
अंधविश्वास के चक्कर में फंस पांच माह की मासूम को गर्म सुई से दागा

राउरकेला, जेएनएन। सरकार गरीबों के इलाज के लिए निशुल्क व्यवस्था की है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग आज भी अंधविश्वास के चक्कर में फंसकर अपना ही बड़ा नुकसान कर बैठते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है सुंदरगढ़ जिले के काल्टा पंचायत अंतर्गत कोईड़ा के कोमडो गांव का। जहां पांच माह की बीमार बच्ची का इलाज करने के लिए परिजनों ने उसे गर्म सुई से आठ बार दगवाया। जिसके कारण मासूम की हालत गंभीर हो गई। इसके बाद परिजनों ने उसे पहले कोईड़ा सरकारी अस्पताल तथा बाद में राउरकेला सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां चिकित्सकों ने उसकी हालत गंभीर बताई है।

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कोईड़ा के कोमडो गांव में मजदूरी का काम करने वाले सुजीत पेंठाई अपनी पत्नी मामा पेंठाई व मां बेलो पेंठाई के साथ रहता है। सुजीत की पत्नी मामा ने बताया कि शुक्रवार को उनकी पांच माह की बेटी दीपिका पेंठाई को बुखार, उल्टी तथा दस्त होने लगा। जिसके कारण वह घबरा कर सास बेलों को इसकी जानकारी

दी। इस दौरान गावं के ही बुजुर्ग लोगों ने उसे गांव से कुछ दूर स्थित एक बुजुर्ग महिला से इलाज करवाने की बात कही।

जिस पर वह अपनी सास के साथ बेटी को लेकर उक्त बुजुर्ग महिला के पास ले गई। जहां बुजुर्ग महिला ने एक सुई को गर्म कर बच्ची के पेट में आठ बार दाग दिया। इसके बाद वे घर लौट आए। बच्ची की तबीयत में सुधार के बजाय और अधिक बिगड़ने लगी।

इसके बाद परिजनों ने बच्ची का इलाज कराने के लिए कोईड़ा के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। तीन दिन तक बच्ची की तबीयत में सुधार नही होने के कारण चिकित्सकों ने उसे राउरकेला सरकारी अस्पताल स्थानांनतरित कर दिया। जिसके कारण परिजनों ने सोमवार शाम चार बजे बच्ची को लेकर राउरकेला सरकारी अस्पताल के शिशु वार्ड में मासूम बच्ची इलाज चल रहा है। शिशु चिकित्सकों ने बच्ची की हालत गंभीर है। जबकि इस संबंध में बच्ची के पिता सुजीत ने कहा कि शुक्रवार को वह रोजाना की तरह सुबह आठ बजे अपने मजदूरी का काम करने चला गया था।


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