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Deba Snana Purnima 2021: गजानन वेश में चतुर्धा मूर्तियां हुई सुसज्जित, घर में बैठ भक्तों ने किए प्रभु के दर्शन

Deba Snana Purnima देव स्‍नान पूर्णिमा पर स्‍नान विधि संपन्‍न होने के पश्‍चात प्रभु जगन्नाथ प्रभु बलभद्र एवं देवि सुभद्रा को गजानन वेश में सुसज्जित किया गया। कोरोना संक्रमण के कारण भक्‍तों के आने पर मनाही थी ऐसे में लोगों ने टीवी पर ही भगवान के पावन दर्शन किए।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 02:54 PM (IST)
Deba Snana Purnima 2021: गजानन वेश में चतुर्धा मूर्तियां हुई सुसज्जित, घर में बैठ भक्तों ने किए प्रभु के दर्शन
स्नान विधि सम्पन्न होने के बाद गजानन वेश में सुसज्जित प्रभु जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र एवं देवि सुभद्रा

पुरी, जागरण संवाददाता। स्नान पूर्णिमा में स्नान विधि सम्पन्न होने के बाद प्रभु जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र एवं देवि सुभद्रा को गजानन वेश में सुसज्जित किया गया। प्रभु के इस अनुपम वेश को देखने के लिए जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ होती थी। वहीं इस साल कोरोना महामारी के कराण बिना भक्तों के ही प्रभु का गजानन वेश किया गया है। भक्त घर में बैठकर टीवी के माध्यम से प्रभु के इस अनुपम गजानन वेश का दर्शन किए।

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108 घड़ा सुंगधित जल

जानकारी के मुताबिक महास्नान यात्रा के लिए रात 1 बजकर 40 मिनट पर मंगलार्पण नीति शुरू हुई। इसके बाद रात 1 बजकर 55 मिनट पर पुष्पांजलि और पहंडी बिजे शुरू हुई जो कि 3 बजकर 20 मिनट पर खत्म हुई। 4 बजे चतुर्धा मूर्तियों को स्नान मंडप पर बिठाया गया। 4 बजकर 15 मिनट पर भगवान के प्रतिनिध मदन को बिजे किया गया। 4 बजकर 50 मिनट पर मंगल आरती की गई। इसके बाद 5 बजे मइलम नीति की गई। 5 बजकर 25 मिनट पर तड़पलागी की गई। 6 बजे अवकाश नीति सम्पपन्न हुई। इसके बाद 6:20 बजे रोष होम, 6:30 बजे वेष सम्पन्न, 7 बजे सूर्य पूजा, 7 बजकर 20 मिनट पर द्वारपाल पूजा, 7:55 बजे महाप्रभु के स्नान के लिए जल लाने को सेवकों को निमंत्रण दिया गया। स्नान मंडप में 8:30 बजे 108 घड़ा सुंगधित जल पहुंचा।

मेकअप सेवकों द्वारा सर्वांनीति सम्पन्न की गई

इसमें से बलभद्र जी के लिए 35 घड़ा, जगन्नाथ जी के लिए 33 घड़ा, देवी सुभद्रा के लिए 22 घड़ा, सुदर्शन जी के लिए 18 घड़ा से लाकर पूजन किया गया। 9 बजकर 45 मिनट पर चतुर्धा मूर्तियों को स्नान कराया गया। इसके बाद 9:50 मइलम तथा फिर मेकअप सेवकों द्वारा सर्वांनीति (चतुर्धा मूर्ति के कपड़ेे बदले गये) सम्पन्न की गई। इसके बाद गजपति के प्रतिधिनिध मुदिरस्त ने चतुर्धा विग्रहों की वंदापना करने के बाद छेरा पहंरा किए। 11 बजकर 20 मिनट पर गजवेश शुरू हुआ। इसके बाद स्नान मंडप में ही चतुर्धा मूर्तियों को ब्रह्म भोग लगाया गया। भोग नीति सम्पन्न होने के बाद गजवेश को हटाकर फूलों के हार सजाया गया।


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