श्रीमंदिर में दयाणा लागी व माया मृग प्रस्ताव नीति सम्पन्न
पुरी : चैत्र शुक्ल चतुर्दशी रामलीला के माया मृग प्रस्ताव और दमनक लागी नीति पारंपरिक विधि विधान के अनुसार सम्पन्न हो गई है। सकाल धूप खत्म होने के बाद महाप्रभुओं को महास्नान किया गया था। पूजा पण्डा, पती और मुदिरस्त घटुआरी के घर से चंदन लाए थे। इस चंदन को सिंहासन के ऊपर लागी किया गया। महाजनों ने लक्ष्मी, सरस्वती, मदन मोहन की प्रतिमाओं को हाथ में लेकर घंट, छतरी, टुरी के साथ शोभायात्रा के जरिए श्रीमंदिर परिक्रमा करने के बाद भीतर सिंहासन पर विराजमान करवाए। पूजा पण्डा षोड़स उपचार में पूजन किए थे। श्रीमंदिर में सभी प्रकार की दयाणा नीति संपादन की गई। मदन मोहन दक्षिण घर को विजे करने के बाद भोग मण्डप खत्म हुआ। संध्या धूप खत्म होने के बाद राम-लक्ष्मण आज्ञा माल लेकर पालकी में विराजमान किए थे और जगन्नाथ बल्लभ मठ को नीति के लिए गए थे। कुण्ढाई बेंट साही की तरफ से मठ परिसर में माया मृग प्रस्ताव किया गया था। माया मृग लीला के बाद प्रभुओं को श्रीमंदिर लाया गया। बाद में मंदिर के अन्दर दूसरी नीति संपन्न हुई।
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