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मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हुई इंजीनियरिंग छात्रा, सिर पर ढो रही है पत्‍थर

पुरी में रहने वाली 20 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा रोजी बेहरा मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हो गई है दरअसल उसे अपने कॉलेज की बकाया फीस जमा करवानी है जिससे उसे डिप्‍लोमा प्रमाण पत्र मिल सके। रोजी पर कॉलेज के 24500 रुपये बकाया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 09:18 AM (IST)
मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हुई इंजीनियरिंग छात्रा, सिर पर ढो रही है पत्‍थर
दैनिक मजदूरी कर रही है सिविल इंजीनियरिंग छात्रा 20 वर्षीय रोजी बेहरा

पुरी, एएनआइ। पुरी में एक सिविल इंजीनियरिंग छात्रा 20 वर्षीय रोजी बेहरा अपने कॉलेज की फीस का भुगतान करने के लिए पिछले तीन सप्ताह से दैनिक मजदूरी कर रही है। वह अपने घर के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत एक सड़क परियोजना में काम कर रही हैं ताकि वह अपने डिप्‍लोमा प्रमाण पत्र (Diploma Certificate) प्राप्त करने के लिए अपने कॉलेज के 24,500 रुपये का भुगतान कर सकें।

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 रोजी ने बताया कि, "2019 में सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering) में अपना डिप्लोमा पूरा करने के बाद, मैं अपनी बैचलर डिग्री के लिए धन की व्यवस्था नहीं कर पा रही हूं। मुझे कॉलेज की 24,500 रुपये की बकाया राशि भी देनी होगी।" ओडिशा के पुरी जिले के चैनपुर पंचायत के अंतर्गत गोरादीपीड़ा गांव से वह अपने सिविल इंजीनियरिंग कौशल को काम में लाने के बजाय एक दैनिक मजदूर के रूप में अपने सिर पर पत्‍थर ढो रही है।

 बेहरा ने कहा कि उसने एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से इस संबंध में बातचीत की थी कि क्‍या वह एक सरकारी छात्रवृत्ति पर बीटेक कर सकती है। उसने कहा कि चूंकि वह अनुसूचित जाति (हरिजन) से संबंध रखती है, इसलिए उसकी ट्यूशन फीस सरकार द्वारा वहन की जाएगी, लेकिन वह हॉस्टल और कॉलेज बस की फीस नहीं दे सकती थी। कॉलेज अधिकारियों और स्थानीय विधायक के बार-बार अनुरोध के बावजूद, मुझे कॉलेज प्राधिकरण द्वारा मेरे डिप्लोमा प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। यहां तक कि हमारे घर का निर्माण सरकारी जमीन पर किया गया है। जैसा कि मैंने एक अच्छे नंबर के साथ मैट्रिक पास की मुझे सरकार से छात्रवृत्ति मिली और मैंने बारूनी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (बीआईईटी) खोरधा में दाखिला ले लिया। 

रोजी बेहरा को मजदूरी के बदले प्रतिदिन 207 रुपये परिश्रमिक मिल रहा है। रोजी की पांच बहनें हैं उनमें से दो बहनें भी इंजीनियरिंग कॉलेज की बकाया फीस जमा करवाने में उसकी मदद के लिए उसके साथ मजदूरी कर रही है। रोजी की एक बहन बीटेक कर रही है और दूसरी बहन कक्षा 12वीं की छात्रा है और दो छोटी बहनें कक्षा 7 और 5 की छात्रा हैं। सुबह होते ही ये बहनें फावड़ा लेकर निकल जाती हैं।


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