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झारसुगुड़ा विमानतल के उद्घाटन के तीन वर्ष पूरे

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उड़ान योजना में झारसुगुड़ा विमानतल के उद्घाटन के तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। तीन वर्ष बाद भी यहां से नियमित विमान सेवा आरंभ नहीं हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 09:00 AM (IST)
झारसुगुड़ा विमानतल के उद्घाटन के तीन वर्ष पूरे
झारसुगुड़ा विमानतल के उद्घाटन के तीन वर्ष पूरे

संसू, झारसुगुड़ा : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उड़ान योजना में झारसुगुड़ा विमानतल के उद्घाटन के तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। तीन वर्ष बाद भी यहां से नियमित विमान सेवा आरंभ नहीं हुई है। झारसुगुड़ा से विमान सेवा उपलब्ध कराने वाले कई विमान बंद हो चुके हैं, जिसमें बेंगलुरु, पटना, गुवाहाटी, व चेन्नई जैसे शहरों के लिए विमान सेवा बंद हो गई है। इसे लेकर लोगों में असंतोष देखा जा रहा है। संबंधित शहरों को विमान सेवा उपलब्ध कराने वाली स्पाइसजेट कंपनी के कार्य में असंतोष देखा जा रहा है। उड़ान दिवस के अवसर पर केंद्र वैसमारिक विमान चलाचल सचिव ऊषा पाढ़ी ने वर्चुअल मोड पर इस योजना में अंतरभुक्त 35 विमानतल के यात्रियों व स्थानीय बुद्धिजीवियों से बात की, जिसमें उड़ान योजना से संबंधित सुविधाएं और अधिक उन्नतीकरण से संबंधित विषय पर उनसे सलाह ली। इस अवसर पर झारसुगुड़ा वीर सुरेन्द्र साय विमानतल के निदेशक पवन जुत्सी समेत विमानतल के वरिष्ठ कर्मचारी व यात्रा करने वाले यात्रियों में जयश्री महांती, लीली नायक व रमेश सिह आदि ने सचिव को विभिन्न समस्याओं की जानकारी दी। राज्य के कल कारखानों को उपलब्ध कराएं कोयला : ओडिशा स्थित कल कारखानों को अग्राधिकार के तहत कोयला उपलब्ध कराने की मांग को लेकर आंचलिक शिल्प विस्थापित मंच ने एमसीएम मुख्यालय के समक्ष घेराव व विरोध प्रदर्शन किया। मंच की ओर से आरोप लगाया गया कि केंद्र के दबाव में आकर एमसीएम राज्य के बाहर कोयला की आपूर्ति कर रहा है। आंचलिक शिल्प विस्थापित मंच ने भारत कोयला कमीशन के उद्देश्य से एमसीएम के महानिदेशक (कार्मिक) आरएल थाटिक को सात सूत्री मांग पत्र सौंप कर चेतावनी दी है कि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो आने वाले दिनों में तीव्र आंदोलन किया जाएगा। ज्ञात हो कि एमसीएम 144 मिलिमन टन वार्षिक कोयला उत्पादन करता है। ओडिशा में विद्युत उत्पादन करने वाले छोटे-बड़े कुल 40 कारखाने हैं। सभी कल कारखानों में लगभग 85 मिलियन टन कोयला की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन 34 रैक कोयले की आवश्यकता है। कोयला खदानों से सभी कारखानों की दूरी सौ लगभग किलोमीटर है। इसलिए कोयला उपलब्ध कराने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। परंतु केंद्र सरकार के दबाव में एमसीएम राज्य के बाहर अधिक कोयला की आपूर्ति कर रहा है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो स्थानीय कल कारखानों में उत्पादन प्रभावित होगा। सिर्फ इतना ही नहीं सभी कारखाने बंद हो जाएंगे। इससे 30 प्रतिशत से अधिक श्रमिक व कर्मचारी भी बेरोजगार हो जाएंगे। साथ ही राज्य कोष के भी क्षति उठानी पड़ेगी। मौैके पर मंच के अध्यक्ष यापन राय चौधरी, साधारण सचिव पी राम मोहन राव, सिद्धार्थ सरकार, पिन्टु पाणि सहित सभी सदस्य उपस्थित थे।

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