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मुआवजे की आस में बैठे हैं कार्तिकेलावासी

उपखंड भुरकामुंडा में स्थित वेदांत परियोजना का कार्तिकेला में स्थित ऐश

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 09:29 PM (IST)
मुआवजे की आस में बैठे हैं कार्तिकेलावासी
मुआवजे की आस में बैठे हैं कार्तिकेलावासी

संसू, झारसुगुड़ा : उपखंड भुरकामुंडा में स्थित वेदांत परियोजना का कार्तिकेला में स्थित ऐश पांड बीते साल 28 अगस्त को टूट गया था। इससे कार्तिकेला गांव की सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि पर राख भर जाने से न सिर्फ जमीन को नुकसान हुआ था बल्कि भेड़न नदी तक फैली राख ने पानी को भी प्रदूषित किया था। इस घटना के बाद जिला प्रशासन की पहल पर कंपनी प्रबंधन ने प्रभावित लोगों को क्षतिपूर्ति राशि देने के साथ-साथ पुनर्वास की व्यवस्था करने का भरोसा दिया था। लेकिन, करीब एक साल बाद आज भी कार्तिकेलावासी मुआवजा व पुनर्वास की आस लगाए बैठे हैं। हालांकि कंपनी की ओर से जल्द ही प्रभावितों को तय मुआवजा व पुनर्वास की व्यवस्था किए जाने की बात कही जा रही है।

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दरअसल, ऐश पांड टूटने की वजह से कार्तिकेला गांव के ग्रामीण पूरी तरह विस्थापित हो गए थे और प्रशासन से पुनर्वास की मांग की थी। इस पर तत्समय जिलाधीश कार्यालय में त्रिपक्षीय बैठक हुई थी जिसमें विस्थापितों का पुर्नवास व मुआवजा दिए जाने की बात वेदांत कंपनी प्रबंधन की ओर कही गई थी। बाद में एक निजी कंसल्टेंट एजेंसी के माध्यम से गांव के पास एक सुरक्षित स्थान पर लोगों के पुर्नवास की व्यवस्था का कार्य शुरू भी किया गया था। विस्थापित व क्षतिग्रस्त लोगों के घर की मापी करने साथ ही जली राख से नष्ट हुई खरीफ व रबी फसल का नुकसान का ब्योरा कंपनी को सौंपा गया था। तहसीलदार व कृषि विभाग के आकलन के बाद खरीफ फसल के लिए प्रति एकड़ 50 हजार व रबी फसल के लिए प्रति एकड़ दस हजार रुपये मुआवजा देना तय हुआ था लेकिन विस्थापित लोगों को सुरक्षित स्थान में पुर्नवास नहीं किया गया। इससे ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी की ओर से गांव के कुछ ही प्रभावित लोगों को ही घर के लिए मुआवजा राशि का 25 प्रतिशत प्रदान किया गया है। जबकि उक्त घटना में पूरे गांव के लोगों की गृहस्थी बर्बाद हो गई थी। ऐसे में सभी का पुनर्वास होना चाहिए।

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कोट

कंपनी लोगों को भयभीत कर रही है। इस वजह से गांव के लोग अपने घर व खेती की क्षतिपूर्ति राशि ग्रहण कर रहे हैं। पूर्व में लिए गए निर्णय में अब कंपनी भेदभाव कर रही है। लोगों को एक समान क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए।

टंकधर साहू, ग्रामीण

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गांव में कुल 322 घर में से केवल 68 घरों की मापी की गई है। इसमें से 50 परिवार को घर के लिए मुआवजा बाबत 25 प्रतिशत राशि प्रदान की गई। हमारी मांग है कि सभी 322 घरों की मापी करने के बाद किस्तों में नहीं बल्कि एक साथ राशि प्रदान की जाए।

पूर्ण रोहिदास, ग्रामीण

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हमने जिलाधीश के समक्ष व गांववालों तथा नेताओं की उपस्थिति में पुनर्वास व मुआवजा प्रदान करने की बात कही है। उस पर हम आज भी कायम है और जल्द ही इसे पूरा करेंगे।

वेदांत कंपनी


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