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ऐश पांड प्रभावितों से मिला एनजीटी आयोग

वेदांत लिमिटेड, झारसुगुडा के ऐश पांड टूटने की घटना में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से गठित तीन सदस्यीय आयोग ने कार्तिकेला गांव पहुंचकर प्रभावितों का पक्ष सुना।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 09:41 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 09:41 PM (IST)
ऐश पांड प्रभावितों से मिला एनजीटी आयोग
ऐश पांड प्रभावितों से मिला एनजीटी आयोग

संवाद सूत्र, झारसुगुड़ा : वेदांत लिमिटेड, झारसुगुडा के ऐश पांड टूटने की घटना में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में झारसुगुडा बचाओ समिति की ओर से दायर वाद पर विगत नौ जनवरी को दिल्ली मे हुई सुनवाई के तहत कोर्ट कमिश्नर पीसी मिश्रा ने शहर पहुंचकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया है। तहसीलदार गोलक बिहारी मंगराज, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंचलिक अधिकारी के साथ प्रभावित कार्तिकेला गांव पहुंचे मिश्र ने मौका-मुआयना करने समेत प्रभावितों का पक्ष सुना तथा नुकसान की पूरी जानकारी ली।

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उल्लेखनीय है कि कार्तिकेला गांव मे स्थित वेदांत का ऐश पांड बीते साल 28 अगस्त की रात अचानक टूट गया था। इससे बडे पैमाने में ऐश (राख) उपजाऊ जमीन व भेड़न नदी में फैल गई थी। इससे जैव विविधता प्रभावित होने के साथ ही भेडन नदी का जल एवं किसानों की उपजाऊ जमीन को भारी क्षति हुई थी।

इसी मसले को लेकर झारसुगुडा बचाओ समिति की ओर से एनजीटी में वाद दायर किया गया है। बताया गया है कि वेदांत प्रबंधन ऐश पांड टूटने से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है। और ना ही कातिर्कला गांव के लोगों को सुरक्षित स्थान में पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है। भेडन नदी में ऐश को साफ करने के लिए भी कोई पहल नहीं हो रही है। इसी मामले की सुनवाई करते हुए जज रघुवेंद्र सिंह राठोर और सत्यवान ¨सह गाब्रियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दाखिल किए गए हलफनामा की सत्यता जांच कर तीन सप्ताह में जांच रिपोर्ट देने के लिए पीसी मिश्रा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय आयोग का गठन करने का निर्देश दिया था। हालांकि झारसुगुडा बचाओ समिति की ओर से इंटरवेनर होने के आवेदन को खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। झारसुगुडा बचाओ समिति के मामले का परिचालन कर रहे अधिवक्ता पी राम मोहन राव ने बताया कि समिति के सत्यनारायण राव जिला प्रशासन से लेकर सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी तक उक्त मामले को ले जाकर पीड़ित लोगों को उनका हक दिलाने व दोषियों पर कानूनी कार्यवाही करने को लेकर संघर्ष जारी रखा है। अब जाकर उनके प्रयासों की वजह से एनजीटी ने आयोग का गठन कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तीन सप्ताह में मांगी है।


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