बकरियां चरा रही राष्ट्रीय फुटबॉलर तनूजा बाग
किसी जमाने में यह कहावत मशहूर थी कि पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब।
संवाद सूत्र, झारसुगुड़ा : पुराने जमाने की कहावत, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब। समय के साथ इसमें बदलाव आया है। आज खेल के जरिये एक दो नहीं हजारों युवा न सिर्फ खुद की जिंदगी संवार रहे हैं बल्कि दुनिया में देश राज्य का नाम भी रोशन कर रहे हैं। यही वजह है कि अब पढ़ाई-लिखाई के साथ बच्चों को खेलकूद में रुचि रखने की सीख देने समेत प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो खेल में निपुण होने के बाद भी समुचित प्रोत्साहन नहीं मिलने के कारण मुफलिसी का शिकार होकर गुमनामी की जिंदगी जीने को विवश हैं। ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं झारसुगुड़ा की तनूजा बाग। जो ओडिशा की महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा चुकी हैं। अब इसे तनूजा की बदकिस्मती कहें या सरकार की उदासीनता, किसी जमाने की राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर होने के बाद भी आज अपने दिहाड़ी मजदूर पति व बच्चों का सहारा बनने के लिए बकरियां चरा रही है।
राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर तनूजा बाग को सरकार तथा प्रशासन से जो प्रोत्साहन व मदद मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली। उसे खेलने के लिए प्रोत्साहित करना तो दूर, बल्कि एक अदद नौकरी देने का भी प्रयास नहीं किया गया। जबकि मीडिया से लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने तनूजा बाग की मदद करने सरकार का ध्यान बार-बार आकर्षित कराया। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही रहा। यही वजह है कि दुनिया में सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा चुकी तनूजा बाग को अपनी गृहस्थी चलाने के लिए चरवाहा के रूप में अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ रही है।
खेल मंत्री से उम्मीद, आज आ रहे शहर : रविवार को राज्य के खेल मंत्री तुषारकांत बेहरा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की नींव रखने के लिए शहर आ रहे हैं। ऐसे में खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का दंभ भरने वाली ओडिशा सरकार के खेल मंत्री की ओर से तनूजा बाग के लिए किसी प्रकार की मदद या प्रोत्साहन की घोषणा होगी या नहीं, इस पर सभी नजर टिकी है।
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