चाहत की डोर से बहन ने वापस पा लिया भाई, कल बांधेगी राखी
सोशल मीडिया फेसबुक ने एक मां को अपने बिछड़े बेटे तथा बहनों को अपने भाई से 23 साल बाद मिलवाया है।
संवाद सूत्र, बामड़ा : सोशल मीडिया फेसबुक ने एक मां को अपने बिछड़े बेटे तथा बहनों को अपने भाई से 23 साल बाद मिला दिया। जो 18 साल की उम्र में किसी बात से नाराज होकर घर छोड़कर चला गया था। उसकी बहन ने फेसबुक पर सर्च करने के बाद बिछड़े भाई का पता चला। जो गुजरात के सूरत में एक होटल में मुख्य शेफ का काम करता था। इसका पता चलने से युवक की मां व बहन समेत अन्य परिजनों ने सूरत जाकर उसे खोज निकाला तथा अपने साथ वापस बामड़ा ले आए। वर्षो बाद बेटा व भाई मिलने से परिवार में हर्ष का माहौल है। परिजनों ने इसे भोले बाबा का चमत्कार बताया है।
किस्सा कुछ यूं है: सुंदरगढ़ जिले के गरियामाल स्थित साजन ढाबा व महावीर धाम के संस्थापक राजेंद्र रवानी का बेटा राजू (41) 1996 में 18 साल की उम्र में पिता की डांट से नाराज होकर घर छोड़कर चला गया था। परिजनों ने उसकी काफी तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। बहनों को खासकर रक्षाबंधन के दिन भाई राजू के न होने की कमी खलती थी। दिवंगत राजेंद्र रवानी का अन्य एक बेटा राहुल भी दो साल पहले दुनिया से चला गया। तीन बेटियां संतोषी, कंचन व मंचन रवानी हैं। इनमें संतोषी की शादी बामड़ा में, कंचन की ब्रजराजनगर तथा मंचन की शादी राउरकेला में हुई है।
ब्रजराजनगर निवासी कंचन रवानी डेढ़-दो साल से फेसबुक चला रही थी। विगत 31 जुलाई को वह फेसबुक में फ्रेंडस सर्च करते वक्त राजू रवानी नाम आने पर ठिठक गयी। राजू की प्रोफाइल फोटो देखकर उसे अपना भाई होने की आशंका हुई। उसने यह फोटो अपनी बहन संतोषी के पास भेजा। उसने भी यह फोटो राजू की होने की पुष्टि की। इसके बाद फेसबुक फ्रेंडस से संपर्क साधा गया। ओडिशा के दो फ्रेंड और सूरत के एक फ्रेंड से संपर्क करने पर राजू गुजरात के सूरत शहर में होने की बात पता चली। इसके बाद राजू की मां सरोजा देवी अपने नाती निखिल के साथ पटना अपनी बहन के यहां पहुंची। वहां से बहन के दो बेटों को साथ लेकर सूरत पहुंची। सूरत में राजू के फ्रेंड से संपर्क करने पर राजू के वापी शहर में एक बड़े होटल में मुख्य शेफ का काम करने की बात पता चली। वापी में उस होटल पहुंच कर राजू से संपर्क किया गया। वर्षो बाद एकाएक अपनी मां को सामने देखकर राजू फफक पड़ा। उसे अपने भाई राहुल और पिता राजेंद्र रवानी की मौत होने का पता चला तो उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बड़ी मुश्किल से उसे संभाला गया। मां ने उसे वापस घर चलने को कहा तो वह उनकी बात टाल नहीं सका। इसके बाद सब लोग गुजरात से पटना होते हुए सावन के आखिरी सोमवार को बामड़ा पहुंचे। बहन कंचन की भाई प्रति चाहत ने रक्षाबंधन के मौके पर भाई को फेसबुक के माध्यम से मिलना अंचल में हर्ष व कौतूहल का विषय बना हुआ है। तेइस साल बाद राजू की घर वापसी से परिजन और मित्रों में बेइंतहा खुशी देखी जा रही है।
वर्ष 1996 में राजू ने छोड़ा था घर : वर्ष 1996 में राजू बड़गांव कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र था। पढ़ाई के साथ वह पिता के ढाबा में सहयोग भी करता था। लेकिन किसी बात को लेकर पिता राजेंद्र रवानी ने स्टाफ के सामने उसे डांट दिया। जिसे राजू ने दिल पर ले लिया और बगैर किसी को बताए घर छोड़कर चल दिया। किसी ट्रेन में बैठने के बाद वह बिलासपुर पहुंचा। वहां दो दिन रहने के बाद मुंबई के लिए निकला। मुंबई में 12 साल तक एक होटल में काम करने बाद वह सूरत पहुंचा और यहां वापी शहर के सबसे अच्छे होटल शुगर एंड स्पाइस में मुख्य शेफ के तौर पर काम करता है। उसका कहना है कि उसे अपने माता-पिता और भाई बहनों की बहुत याद आती थी। लेकिन वह कभी संपर्क करने या लौटने का मन नही बना पाया। बामड़ा में रहने वाली उसकी बडी बहन संतोषी ने ठाकुर अनुकूलचंद्र और भोले बाबा की कृपा से भाई से मिलन होने की बात कही।