लड़ाई खंडपीठ की, पिस रहे कैदी
पश्चिम ओडिशा में हाईकोर्ट की स्थायी खंडपीठ की स्थापना को लेकर जारी आंदोलन बंदियों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है।
संसू, झारसुगुड़ा : पश्चिम ओडिशा में हाईकोर्ट की स्थायी खंडपीठ की स्थापना को लेकर जारी वकीलों का आंदोलन आमजनमानस के साथ-साथ जिला उपकारागार में बंद कैदियों के बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है। इस आंदोलन के चलते छोटे-मोटे मामलों में गिरफ्तार होने वाले लोगों को जमानत न मिलने से जेल की हालत भूषा गोदाम की तरह हो गई है। आलम यह है कि 146 बंदियों को रखने की क्षमता लिए जिला उपकारागार में वर्तमान 437 कैदियों को रखा गया है। इससे जहां एक ओर जेल प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। वहीं दूसरी ओर कैदियों को सोने-खाने में अनेक असुविधाओं का सामना करना पड़ा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम ओडिशा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापना की मांग को लेकर वकील संघ क्रियानुष्ठान कमेटी के आह्वान पर विगत सितंबर के दूसरे सप्ताह से आंदोलन कर रहा है। इससे जिला अंतर्गत सभी कोर्ट कचहरी सभी बंद पड़े हैं जो भी आरोपी, अभियुक्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर कोर्ट चालान किया जा रहा है उनकी जमानत नहीं हो पा रही है और उसे जेल भेज दिया जा रहा है। इससे जिला उपकारागार में परिस्थिति संगीन हो गई है। वर्तमान यहां पर 437 बंदी रह रहे हैं जिसमें 426 पुरुष व 11 महिलाएं शामिल है।
छोटे-मोटे मामले में भी आरोपी भेजे जा रहे कोर्ट
उपकारागार की स्थिति पर अधिवक्ता पी. राममोहन राय का कहना है कि इस स्थिति के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार 7 वर्ष की सजा पानेवाले कैदियों के बाद अभियुक्तों की जमानत पुलिस को मंजूर करना चाहिए मगर जिला पुलिस छोटे-छोटे मामलों में भी आरोपी को कोर्ट चालान कर देती है। जिससे जेल में लगातार कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। राव ने कहा कि जिला उपकारागार की समस्या गंभीर हो चुकी है परिस्थिति को लेकर अगर आवश्यक हुआ तो मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
.....
झारसुगुड़ा उपकारागार में 139 पुरुष व 7 महिला कैदी को ही रखा जाना चाहिए। 437 कैदियों को यहां रखना बहुत ही जटिल समस्या बन गई है। बाध्य होकर हमें यहां उन्हें किसी तरह रखना पड़ रहा है।
- उर्मिला ¨मज, अधीक्षक, जिला उपकारागार