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फसल कटने के तीन माह बाद भी नहीं बिका धान

धान के फसल कटे तीन माह हो गये हैं लेकिन मंडी में अभी तक बिक्री नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि टोकन नहीं मिलने से किसान अपनी धान नहीं बेंच पा रहें हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 06:22 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 06:16 AM (IST)
फसल कटने के तीन माह बाद भी नहीं बिका धान
फसल कटने के तीन माह बाद भी नहीं बिका धान

संवाद सूत्र, झारसुगुड़ा : धान के फसल कटे तीन माह हो गये हैं, लेकिन मंडी में अभी तक बिक्री नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि टोकन नहीं मिलने से किसान अपनी धान नहीं बेंच पा रहें हैं। इस कारण कुछ किसानों को दलाल के हाथों धान बेंचना पड़ रहा है। दलाल भी मौके का पूरा फायदा उठा रहे हैं। दलाल के हाथों किसान 12 रुपये प्रति किलो के भाव से किसान धान बेंच रहे हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार लैयकरा सेवा समन्वय समिति में एक हजार 90 किसानों ने पंजीकरण कराया था। इसमें से 20 किसानों का आधार कार्ड मिस मैच होने होने की जानकारी दे दी जा चुकी थी। वहीं 769 किसानों ने 421 हजार 452 क्विंटल धान बेचा है। 301 किसान अभी भी टोकन के इंतजार में बैठे हैं। समिति द्वारा कुल 45 हजार 452 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा था। जिसमें से 42 हजार 451 क्विंटल धान की बिक्री की जा चुकी है। तीन हजार 48 क्विटल धान कि खरीदी का टार्गेट बचा है। वहीं अभी भी 25 से 30 हजार क्विंटल धान और खरीदी की की टार्गेट होने की आवश्यक्ता होने की बात समिति के सचिव श्रीकांत भोई ने कही है। इसी प्रकार सहासपुर समन्वय समिति में 960 किसानों ने पंजीकरण कराया था। यहां 732 किसानों ने 41 हजार 765 क्विंटल धान की बिक्री की है। 228 किसान टोकन के इन्तजार में बैठे है। समिति के सचिव नित्यानंद किचिणिया ने कहा कि यहां अभी 30 हजार क्विंटल धान कि बिक्री के लिए टोकन की आवश्यक्ता है। इस संबंध में झारसुगुड़ा एआरसीएम रश्मिलता बेहरा से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमें नए एलाटमेंट के लिए सरकार से अनुरोध कर पत्र भेजा है। दो तीन दिनों में एक एलाटमेंट आ जाने के बाद नया एलाटमेंट दिया जाएगा। इसे लेकर मां अंधेरी कृषक संघ के अध्यक्ष सागर कुम्हरा ने कहा कि सरकार का यह खामखियाली नहीं चलेगा। किसान धान कटनी के बाद महीनों इंतजार कर रहे है। वहीं लैयकरा व सहासपुर समन्वय समिति में अभी भी कुल 5299 किसान अपने धान बिक्री करने कि अपेक्षा कर रहे हैं। मगर सबसे बड़ी दुख कि बात यह है कि जो नया टारगेट आया है। उसमे लैयकरा व सहासपुर समिति का नाम तक नहीं है, जिससे अब किसानों का धैर्य भी जवाब दे चुका है। और वे लोग इसे ले कर आन्दोलन कि तैयारी में है।

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