बिजली की तारे है या मकड़ी के जाल
शहर के चौक-चौराहों से लेकर मुहल्लों में लगी पोल पर इस तरह से बिजली की तारे लटकी हैं मानो तार नहीं मकड़ी की जाल हों। मजे की बात तो यह है कि पोल पर लटक रही तार को पहचानना भी मुश्किल है कि कौन तार किसके घर की है।
संसू, झारसुगुड़ा : पश्चिम ओडिशा में अनियमित विद्युत आपूर्ति से लोग परेशान हैं, जब कभी बारिश होती है या थोड़ी तेज हवा चलती है बिजली कट जाती है और लोगों को घंटों अंधेरे में रहना पड़ता है। विभागीय अधिकारियों से बात करने के लिए जब फोन किया जाता है तो फोन नहीं उठता। जब सरकार टाटा कंपनी वेस्कों से विद्युत सेवा अपने हाथ में ली थी तो लोगो को लगा था कि व्यवस्था में सुधार आएगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वहीं दूसरी ओर, शहर के चौक-चौराहों से लेकर मुहल्लों में लगी पोल पर इस तरह से बिजली की तारे लटकी हैं मानो तार नहीं मकड़ी की जाल हों। मजे की बात तो यह है कि पोल पर लटक रही तार को पहचानना भी मुश्किल है कि कौन तार किसके घर की है। अगर किसी के घर की बिजली कटी और वह उसे दुरुस्त कराने गया तो खुद के साथ दूसरे का भी कनेक्शन कटवा बैठता है। एक पोल से पचास से अधिक लोगों को कनेक्शन दिया गया है। इसके अलावा विभिन्न कंपनियों ने अपना केबुल टांगा है अलग। इन्ही पोल के सहारे शहर में कई कंपनियों ने ब्रोडबैंड, डिश केबल को टांग रखा है। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण सभी तार तितर-बितर हैं। ऐसे में अक्सर शार्ट-सर्किट की आशंका बनी रहती है।
हालांकि, कुछ दिनों से तार के जगह केबुल लगाने का काम चल रहा है लेकिन काम गति देख कछुआ भी शरमा जाए। शहर में जिस गति से केबुल लगाने का काम चल रहा है उसे देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभागीय कर्मचारी आने वाले दो-तीन वर्षाें तक इसी काम को करना चाहते हैं। इस बारे में पूर्व पार्षद प्यारेलाल श्रीवास्तव ने विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग अधिकारी शहर में निर्बाध बिजली आपूर्ति देने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि अनियमित आपूर्ति से विभाग अपनी नाकामी छुपाना चाहता है। कहा कि बिजली विभाग त्रुटिपूर्ण बिल भेजकर पैसा उगाही में लगा रहता है। बिल समय पर नहीं जमा करने पर कनेक्शन काटने की धमकी मिलती है अलग।