खाली समझ रख दिया गया था भरा सिलेंडर
नगर के श्रीरामचन्द्र भंज मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में बुधवार श्
जागरण संवाददाता, कटक : नगर के श्रीरामचन्द्र भंज मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में बुधवार शाम को हुए क्लोरीन गैस रिसाव मामले की जांच शुरू हो गई है। जिलाधीश सुशांत महापात्र की ओर से अतिरिक्त जिलाधीश रघुराम आर अय्यर के नेतृत्व गठित टीम ने अस्पताल पहुंचकर यहां मौजूद पंप हाउस की जांच की। इसमें पता चला है कि उपरोक्त क्लोरीन गैस सिलेंडर खाली होने के संदेह में यहां रखा गया था, जिससे यह हादसा हुआ। पीएचडी अधिकारी व कुछ विशेषज्ञों के साथ अस्तपाल पहुंची जांच टीम ने चहटा में मौजूद एक डिपो में जाकर भी स्थिति का मुआयना किया है। यहां पर मौजूद कुछ क्लोरीन गैस सिलेंडर को किस हालात में रखा गया है, सिलेंडर की स्थिति क्या है और उससे क्या खतरा हो सकता, कैसे नष्ट किया जाए, आदि बिंदुओं पर जांच-पड़ताल की है। इस टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। मौका-मुआयना के बाद पीएचडी के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि अब क्लोरीन गैस को पानी के शुद्धता के लिए प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इन दिनों ब्ली¨चग पाउडर का प्रयोग होता है और यह सिलेंडर खाली होने के संदेह में यहां रखा गया था। जिलाधीश द्वारा गठित इस टीम में जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक अभियंता सुशांत घड़ेई के साथ दमकल, फैक्ट्री एवं बायलर एवं एससीबी के अधिकारी शामिल हैं।
वहीं, एससीबी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक प्रो, श्यामा कानूनगो ने गुरुवार को बताया कि अस्पताल में 26 पीड़ित मौजूद हैं, जिसमें से 14 आइसीयू एवं 12 मेडिसीन वार्ड में भर्ती हैं। सभी का स्वास्थ्य ठीक है। जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
---------------------
हादसे में बेहोश हो गए थे 46 लोग
श्रीरामचन्द्र भंज मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बुधवार शाम करीब साढ़े चार बजे हुए क्लोरीन गैस रिसाव से 46 लोग अस्वस्थ हो गए थे। इनमें से तीन की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया है। इसकी सूचना मिलने पर पहुंचे दमकलकर्मियों ने क्लोरीन गैस की टंकी को महानदी तट पर ले जाकर पानी में गिराया था, तब जाकर खतरा टला था। सूचना मिलने पर नगर विकास मंत्री निरंजन पुजारी ने भी अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था तथा पूरे मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। प्रभावित लोगों में मेडिकल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. प्रताप मिश्र, मेडिकल छात्र, सिक्योरिटी गार्ड एवं मरीजों के अभिभावक आदि शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि मेडिकल परिसर में मौजूद पानी को विशोधन करने के लिए तीन क्लोरीन की टंकी यहां रखी गई थी, जो काफी पुरानी हो गई थीं।