व्यक्तित्व विकास में पुस्तक की भूमिका अहम : जस्टिस पसायत
यक्तित्व विकास में पुस्तक की भूमिका अहम है। जिदगी की शुरुआत से यानी बचपन से ही इंसान पुस्तक से जुड़कर साधारण से असाधारण बन जाता है।
जासं, कटक : व्यक्तित्व विकास में पुस्तक की भूमिका अहम है। जिदगी की शुरुआत से यानी बचपन से ही इंसान पुस्तक से जुड़कर साधारण से असाधारण बन जाता है। पुस्तक के मौलिक भाव एवं सकारात्मक दिशाओं को अगर पाठक समझ पाए तो व्यक्तित्व के विकास में कारगर साबित होती है। यह बात सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरिजीत पसायत ने केंद्रीय साहित्य अकादमी की ओर से नगर के शताब्दी भवन में व्यक्ति एवं पुस्तक विषयक कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि आज वह जिस मुकाम पर हैं वह केवल पुस्तक की वजह से ही संभव हो पाया है। पुस्तक से ही शुरू हुई थी एवं उसी के माध्यम से विकसित हुई है। इस मौके पर उन्होंने कुछ खास अंग्रेजी एवं ओड़िया पुस्तकों का उल्लेख भी किया जिन्होंने उनकी जिदगी में काफी असर डाला है। शेक्सपियर के जूलियस सीजर से लेकर सरला दास के ओड़िया महाभारत आदि संबंध में जस्टिस पसायत ने प्रकाश डाला। केंद्रीय साहित्य एकेडमी के ओड़िया सलाहकार मंडली के आवाहक डॉ. विजयानंद सिंह की अध्यक्षता में हुई कार्यशाला में एकेडमी के प्रांतीय सचिव डॉ. देवेंद्र कुमार देवेश ने स्वागत भाषण एवं सदस्य क्षेत्रवासी नायक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।