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खान घोटाले की एसआईटी जांच को लेकर दायर मामला: हस्तक्षेप से हाईकोर्ट ने किया इनकार

Mines scam एसआईटी टीम (SIT Team) के द्वारा खान घोटाले की जांच किए जाने को लेकर दायर मामले में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता चाहे तो इस मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में जिक्र कर सकेंगे।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 01:44 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 01:44 PM (IST)
खान घोटाले की एसआईटी जांच को लेकर दायर मामला: हस्तक्षेप से हाईकोर्ट ने किया इनकार
खान घोटाले की एसआईटी जांच को लेकर दायर मामला

कटक, जागरण संवाददाता। सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित एसआईटी टीम के द्वारा खान घोटाले की जांच किए जाने को लेकर दायर मामले में हस्तक्षेप के लिए हाईकोर्ट ने मना कर दिया है। इस मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में मामला विचाराधीन है। ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता चाहे तो इस मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में जिक्र कर सकेंगे। यह बात हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में स्पष्ट करने के साथ-साथ इस मामले में पूर्ण विराम लगा दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस बी.पी राउतराय को लेकर गठित खंडपीठ ने सुदर्शन नायक और प्रदीप्त कुमार जेना की ओर से दायर जनहित याचिका मामले की सुनवाई करते हुए ऐसा निर्देश दिया है।

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मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2010 नवंबर 22 तारीख को केंद्र सरकार विज्ञप्ति प्रकाशित कर सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस एम.बी शाह की अध्यक्षता में कमीशन गठन किया था । गैर कानूनी तौर पर लोहा, पत्थर और मैंगनीज उत्तोलन मुद्दे पर जांच कर कमीशन सुप्रीमकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल किए थे। वर्ष 2017 अगस्त 2 तारीख को सुप्रीमकोर्ट इस संबंध में दायर मामले की सुनवाई कर सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जानकार कमेटी की गठन के लिए भी कहा था। यह कमेटी ओडिशा के साथ-साथ विभिन्न राज्य में गैर कानूनी तौर पर किए जाने वाली खान खुदाई का मुद्दा और उसे कैसे रोका जाए उसकी व्यवस्था के ऊपर सलाह प्रदान करने के लिए भी सुप्रीमकोर्ट ने कहा था ।

शाह कमीशन रिपोर्ट के आवेदन के साथ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर याचिकाकर्ता ने दर्शाया था कि राज्य में खान घोटाले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी का गठन किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील गौतम कुमार आचार्य मामला संचालन कर रहे थे और वकील अरुण कुमार बुद्धिआ उन्हें मदद कर रहे थे।


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