कटक बालीयात्रा मेला, चौथी शाम छाया रहा आदिवासी नृत्य का जादू
नगर के ऐतिहासिक बालीयात्रा मेले में दिन बढ़ने के साथ भीड़ भी बढ़ रही है।
जासं, कटक : नगर के ऐतिहासिक बालीयात्रा मेले में दिन बढ़ने के साथ भीड़ भी बढ़ रही है। लोग मेले में घूमकर तरह-तरह के सामान की खरीदार करने के साथ ही चटपटे व्यंजनों का भी मजा ले रहे हैं। वहीं गणकवि वैष्णव पाणी पंडाल में हर शाम आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाना भी नहीं भूल रहे हैं।
सोमवार को मेले की चौथी शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम में पारंपरिक आदिवासी नृत्य का जादू छाया रहा। आदिवासी कलाकार हाथों में घुमरा एवं ढाग आदि पारंपरिक वाद्ययंत्र लेकर मंच पर उतरे और पारंपरिक लोकनृत्य ¨सगरा पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके अलावा कलाकारों द्वारा आदिवासी लोकनृत्य बजासाल, वनावाता आदि पेश किया गया। पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ यह नृत्य दर्शकों को काफी पसंद आया।
जिला प्रशासन, कटक नगर निगम एवं जिला सांस्कृतिक परिषद की ओर से आयोजित गणकवि पंडाल में कालाहांडी से आए प्रतिभा अनुष्ठान के 15 कलाकारों ने गुरुध्यानंद पंडा के निर्देशन में पारंपरिक लोकनृत्य पेश किया।
इससे पहले ध्रुपदि कलाकेंद्र, कोलकाता के कलाकारों द्वारा कथक नृत्य पेश किया गया। गुरुशुक्ल दत्त के निर्देशन में तीन कलाकारों ने शिव तांडव एवं कथक फ्यूजन नृत्य पेश किया। इसी तरह गीत सागर म्यूजिक बैंड के कलाकारों ने ओड़िया गीत, गायक सत्यजीत प्रधान एवं जागृति ने हिंदी गीत पेशकर दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। वहीं, जिला कला एवं संस्कृति संघ द्वारा पाला, शोभनीय शिक्षाश्रम की ओर से ओडिशी नृत्य, कटक मां मंगला ग्रुप के किन्नरों द्वारा संबलपुरी नृत्य, सरस्वती कलाकेंद्र के कलाकारों द्वारा शास्त्रीय नृत्य पेश किया गया।
इस मौके पर बतौर अतिथि उप जिलाधीश सुकांत कुमार प्रधान, जिला संस्कृति अधिकारी अनंत प्रसाद सेठी, पूर्व जिला संस्कृति अधिकारी सुरेंद्र नाथ सामंतराय प्रमुख मौजूद रहकर कलाकारों को कार्यक्रम के बाद सम्मानित किया।