मन को वश में रखने का प्रयास करना चाहिए : आचार्य
अपने त्रिआयामी उद्देश्य नैतिकता, सदभावना व नशामुक्ति को लेकर अ¨हसा य
जागरण संवाददाता, कटक : अपने त्रिआयामी उद्देश्य नैतिकता, सदभावना व नशामुक्ति को लेकर अ¨हसा यात्रा में धवल सेना के साथ कटक पधारे तेरापंथ के एकादशम अनुशास्ता, महातपस्वी, शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के लिए शुक्रवार को सचिन तेंदुलकर इंडोर हॉल में मंगल भावना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आचार्यश्री ने कहा कि आदमी के पास प्रवृति के तीन साधन हैं-मन, वचन और काय। इन्हें योग भी कहा गया है, मनोयोग, वचनयोग और काययोग। इन तीनों का मालिक आत्मा को माना गया है। आदमी मन, वचन और काय को गलत कार्य में प्रवृत होने से रोक ले वह गुप्ति होती है। आदमी मन को गलत सोचने से रोक ले, वचन को गलत बोलने से रोक ले और काया से गलत करने से रोक ले तो गुप्ति का अनुपालन कर सकता है। आदमी जब मन के वश में होता है तो वह दु:खी बन सकता है और जब आत्मा आदमी के वश में हो तो आदमी सुखी बन सकता है। इसलिए आदमी को अपने मन को अपने वश में रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी के मन में कोई बुरे विचार आएंगे तो आत्मा पापों से जकड़ती जाएगी। इसलिए आदमी को मन को निर्मल बनाने के लिए बुरे विचारों से बचाने का प्रयास करना चाहिए। मन की मलिनता दु:ख का कारण और मन की निर्मलता सुख का कारण होता है। आदमी को गुस्सा करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। गुस्से से आदमी का केवल बाहरी नुकसान ही नहीं, आत्मा का नुकसान होता है। जो आदमी अपने गुस्से को नियंत्रित कर ले और समताभाव में हो जाए, वह अनेक पापों से बच सकता है। आचार्यश्री ने 26 जनवरी के संदर्भ में कहा कि आज का दिन भारत के लिए महत्वूपूर्ण है। राष्ट्रगान के समय भी काय की मानों कितनी स्थिरता रखनी होती है। भारत के लोग अनैतिकता और भ्रष्टाचार से बचने का प्रयास करें तो वे अपनी आत्मा और राष्ट्र को नुकसान से बचा सकते हैं। इसके उपरांत नरेश खटेड़, माणकचंद पुगलिया, इंदिरादेवी लुणिया, अरविन्द बैद, मुकेश डूंगरवाल, धनंजय बांठिया, पानमल नाहटा, मिलापचंद चोपड़ा, मोहनलाल ¨सघी, मोहनलाल चोरड़िया, दीपक ¨सघी, प्रफुल्ल बेताला निहारिका ¨सघी, पुष्पा ¨सघी, हंसराज बेताला समेत ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन के निवर्तमान सेक्रेटरी आशीर्वाद बेहरा आदि आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।