ग्रामीणों के उत्थान को महत्व देने का समय आ गया है
देश की आíथक अभिवृद्धि ग्रामीण विकास पर निर्भर करती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है एवं इसकी अर्थनीति कृषि पर निर्भर करती है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : देश की आíथक अभिवृद्धि ग्रामीण विकास पर निर्भर करती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है एवं इसकी अर्थनीति कृषि पर निर्भर करती है। ग्रामीण क्षेत्र में विज्ञान एवं तकनीक का प्रयोग कर कृषि एवं अन्य क्षेत्र का विकास किया जा सकता है। यह बात शुक्रवार को कीट विश्वविद्यालय एवं भारतीय विज्ञान कांग्रेस संगठन (इस्का) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में अतिथियों ने कही। शुक्रवार से शुरू दो दिवसीय इस कार्यशाला में जनरल प्रेसिडेंट (इलेक्ट) प्रो. विजयलक्ष्मी सक्सेना, इस्का मेंबरशिप अफेयर्स जनरल सेक्रेटरी प्रो. एस रामकृष्ण, आइसीएआर सेंट्रल इन लैंड फिसरिज रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. वीके दास, इस्का साइंटिफिक एक्टिविटीज के पूर्व जनरल सेक्रेटरी प्रो. पीपी माथुर, कीट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञान रंजन महांती प्रमुख अतिथियों ने ग्रामीण विकास में विज्ञान तकनीकी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। अतिथियों ने कहा कि ग्रामीण लोगों के सामाजिक एवं आíथक स्थिति को महत्व देने का अब समय आ गया है। ग्रामीण क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान कौशल का प्रयोग करने की जरूरत है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और ग्रामीणों का शहर के प्रति झुकाव कम होगा। ग्रामीण लोग आज भी निरक्षरता, कुपोषण एवं गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। हम जो खाद्य खा रहे हैं वह ग्रामीण लोगों के द्वारा ही उत्पादित होता है। ऐसे में यदि हम ग्रामीण लोगों को शिक्षित एवं स्वावलंबी बनाते हैं तो हमें अपमृश्रित खाद्य से बच सकते हैं और स्वास्थ्यकर खाद्य हमें मिल सकता है। ग्रामीण लोगों का विकास हम सबके लिए अब एक चुनौती है।