कार्यालय हुआ सील तो भुवनेश्वर सांसद अपराजिता षडंगी ने शुरु किया ऑन रोड ऑफिस
परेशानी को अवसर में तब्दील कर प्रदेश भर में चर्चा का केन्द्र बनी भुवनेश्वर की सांसद अपराजिता षडंगी जारी रखेंगी ऑन रोड ऑफिस कार्यक्रम कहा अब तक 3200 लोगों ने अपने घर के सामने ऑफिस चलाने को दे चुके हैं पत्र।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। परेशानी आने पर अक्सर देखा जाता है कि लोग टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं, मगर उसी परेशानी को कोई अवसर बना लें, ऐसी विरल घटना कम ही देखी व सुनी जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं भुवनेश्वर की सांसद तथा भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता अपराजिता षडंगी, जो न सिर्फ राजधानी भुवनेश्वर में बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का केन्द्र बन गई हैं। जानकारी के मुताबिक कोविड गाइड लाइन उल्लंघन का आरोप लगाकर सांसद के भुवनेश्वर स्थित कार्यालय को 15 दिन के लिए सील कर दिया गया।
ऑन रोड ऑफिस
कार्यालय सील हो जाने से वह ना ही लोगों की समस्या सुन पा रही थी और ना ही विकास के कार्यक्रम को आगे बढ़ा पा रही थी। चिंतन मंथन करने के बाद सांसद अपराजिता षडंगी ने 11 अक्टूबर से आन रोड ऑफिस कार्यक्रम शुरु किया। दफ्तर सील हो जाने के बाद तब मजबूरी में उन्होंने यह ऑन रोड ऑफिस कार्यक्रम शुरु किया था, मगर इस कार्यक्रम के जरिए जिस प्रकार से वह सीधे तौर पर लोगों की समस्या से रूबरू हुई, इससे लोगों के समस्या का समाधान होने लगा और लोगों में उनकी पैठ और बढ़ गई। सांसद को न सिर्फ राजधानी भुवनेश्वर से बल्कि पूरे प्रदेश से लोगों का अपार समर्थन मिलने लगा। ऐसे में उन्होंने अब इस कार्यक्रम को निरंतर जारी रखने का ऐलान करते हुए परेशानी को ही अवसर में तब्दील कर दिया है।
बीएमसी के पास नहीं था जवाब
एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी रह चुकी भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा सांसद अपराजिता षडंगी ने दैनिक जागरण के साथ विशेष रूप से बातचीत करते हुए बताया कि मेरे साथ हुई यह घटना बीजू जनता दल तथा राज्य सरकार के अज्ञानता एवं असहिष्णुता का परिचायक है। बिना सरकारी आदेश के बीएमसी इस तरह के कदम नहीं उठा सकती। बीएमसी ने मेरे जिस दफ्तर को सील किया, उसमें लोग रहते भी हैं, घर के साथ दफ्तर है। ऐसे में किसी के घर को तुरन्त बंद कर देना कतई उचित नहीं है। उन्होने बताया कि हमने कोविड नियम उल्लंघन के 21 फोटो बीएमसी को दिखाए, जिसमें 6 तो बीजद के थे, 21 विधायक एवं मंत्रियों के चित्र दिए और किसी में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बीएमसी के पास इसका कोई जवाब भी नहीं था। हालांकि प्रशासन का आदेश था हमने तुरन्त मान लिया। इसके बाद हमने मंथन किया, स्टेट कोविड गाइड लाइन पढी। इसके बाद हमें लगा कि यह सब नियम के खिलाफ हुआ है और हमने 10 अक्टूबर को बीएमसी को पत्र लिखा और 11 अक्टूबर से ऑफिस ऑन रोड कार्यक्रम शुरु कर दिया।
अन्याय के खिलाफ लड़ने की मिली ताकत
हमारी इस मुहिम को प्रदेश के लोगों का प्यार, केन्द्रीय भाजपा नेताओं का पूरा समर्थन मिला। इससे हमें अन्याय के खिलाफ लड़ने की और ताकत मिल गई। प्रदेश के लोगों के भारी समर्थन मिलने से सरकार घबरा गई और 15 दिन के लिए सील किए गए कार्यालय को एक सप्ताह पहले खोलने के लिए मेरे पास अनुनय विनय करने लगी, जिसे अब लोगों की सेवा के लिए खोल दिया गया है हालांकि इससे हुई परेशानी को हमने अवसर में तब्दील कर दिया है और सीधे लोगों के यहां जाकर उनकी समस्या सुनने के साथ समाधान करने का प्रयास कर रही हूं।