खेमेबाजी पर बोले विजय खंडेलवाले- संबंधों को जोड़ता हूं, तोड़ता नहीं
कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही तनातनी के बीच निवर्तमान अध्यक्ष विजय खंडेलवाल ने इसे थामने की कोशिश की और कहा कि समाज की नींव भाईचारे पर पड़ी है और भाईचारा ही हमारे समाज की पहचान है।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही तनातनी के बीच निवर्तमान अध्यक्ष विजय खंडेलवाल ने इसे थामने की कोशिश की और कहा कि समाज की नींव भाईचारे पर पड़ी है और भाईचारा ही हमारे समाज की पहचान है। चुनाव के दौरान उत्पन्न सवालों को लेकर दैनिक जागरण ने कटक मारवाड़ी समाज के निवर्तमान अध्यक्ष विजय खंडेलवाल से जवाब ढूंढने की कोशिश की। पेश हैं विजय खंडेलवाल के जवाब।
सवाल -चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। चुनाव समिति पर निष्पक्ष मतदान कराने को लेकर सवाल उठ रहे हैं, इस पर आपका क्या कहना है।
जवाब- जैसा कि आरोप लगाए जा रहे हैं कि पिछले चुनाव में भी चुनाव समिति ने गड़बड़ी की थी, ऐसा कुद भी नहीं हुआ था। मैंने एजीएम में भी इसको लेकर स्पष्ट तौर पर कहा था कि मेरे कार्यकाल में चुनाव को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी। साथ ही मैं समाज के सभी प्रत्याशियों और सदस्यों को आश्वासन देता हूं कि इस बार भी चुनाव निष्पक्ष और शातिपूर्ण संपन्न होगा। चुनाव समिति एक संवैधानिक संरचना है। इसलिए किसी को भी ऐसी संस्थाओं पर आरोप नहीं लगाने चाहिए।
सवाल-अध्यक्ष पद का कार्यकाल समाप्त होते ही आप पुराने खेमे में जाकर मिल गए हैं, ऐसे सवाल उठ रहे हैं।
जवाब-विजय खंडेलवाल कभी संबंधों को तोड़ने की बात नहीं करता। संबंधों को जोड़ता है। ऐसी स्थिति में खेमेबाजी की कोई बात नहीं है। आज क्या कोई इस बात से इनकार कर सकता है कि गणेश प्रसाद कंदोई और उनकी टीम ने कटक मारवाड़ी समाज की नींव रखी थी। क्या आज इस बात से कोई इनकार कर सकता है कि गणेश प्रसाद कंदोई कटक मारवाड़ी समाज के प्रथम अध्यक्ष थे। वह संस्थापक अध्यक्ष थे। इसके बाद के दो कार्यकाल मैंने अध्यक्ष की कमान संभाली। अब 4 प्रत्याशियों में से कोई एक प्रत्याशी जीतकर इस कड़ी को आगे बढ़ाएगा। इसका मतलब यह नहीं लगाना चाहिए कि किसी को लेकर खेमेबाजी हो रही है। कटक भाईचारे का शहर है और भाईचारा ही हमारे संस्कारों की नींव है। ऐसी स्थिति में खेमेबाजी की बात नहीं होनी चाहिए। मैं पूछना चाहूंगा उन सभी लोगों से कि आखिर नया खेमा क्यों बना। साढ़े चार साल तक आप टीम विजय के हिस्सा थे और कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे। आखिर कौन सी ऐसी बात हुई कि टीम विजय को खेमे में बैठना पड़ा और नये-पुराने खेमे की बात उठनी शुरू हो गई। हमारा उद्देश्य संबंधों को तोड़ना नहीं, जोड़ना है। आज भी मैं अपने सामाजिक क्षेत्र में पूरे समाज को जोड़ने की बात करता हूं और एक बार फिर चाहता हूं कि कोई भी खेमा नहीं बने। टीम विजय हर उस दिल में जिंदा है जो इसके सदस्य थे और हमेशा ही इनके दिलों में यह टीम जिंदा रहेगी और उनका सहयोग मामाजी को मिलता रहेगा।
सवाल - समाज के पैसे के खर्च को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि ऑडिट बैलेंस शीट क्यों नहीं दी जाती।
जवाब-अध्यक्ष के नाते कभी भी मैंने बैंक के चेक पर हस्ताक्षर नहीं किया। हिसाब देखने की जिम्मेदारी सचिव रमन बगड़िया और कोषाध्यक्ष हेमंत अग्रवाल को थी। एक टीम वर्क के तहत हम काम करते थे। अगर किसी को विस्तृत जानकारी चाहिए तो उनसे ले सकते हैं। हालाकि अंतिम आमसभा में कोषाध्यक्ष ने विस्तृत खर्चे का हिसाब सभा के समक्ष रखा था और जिसने भी सवाल किया उसका जवाब उन्होंने दिया। फिर भी किसी को लगता है कि की कुछ जानकारी चाहिए तो उनसे संपर्क कर सकते हैं।
सवाल- टीम विजय के बीच दुराव कैसे आया।
जवाब- इस सवाल का जवाब उन लोगों को ही देना चाहिएए जिन्होंने संबंधों में दुराव की नींव रखी। इस विघटन से पहले टीम विजय के प्रत्याशी नथमल चनानी उर्फ मामाजी ही थे और इनके प्रत्याशी बनाने पर मुहर तीन माह पहले ही सबने मिलकर लगाई थी। टीम विजय के सभी सदस्य मामाजी के घर गए थे और उनसे अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी बनने का आग्रह किया था। नामाकन पत्र लेने के पूर्व रात्रि तक सब कुछ ठीक था। लेकिन अचानक कुछ ही घटों में ऐसा क्या हो गया कि रमन बगड़िया को यह कहना पड़ा कि टीम विजय टूट गई है। इसलिए इस सवाल का जवाब रमन बगड़िया ही दें, क्यों यह सवाल रमन बगड़िया पर उठता है। मेरा नाम कहा से आया। साढे चार साल तक सभी साथ थे। अंत में ऐसा क्या हो गया कि वे अलग हो गए।
सवाल- मामाजी को ही टीम विजय ने क्यों प्रत्याशी चुना।
जवाब- नथमल चनानी उर्फ मामाजी हम सभी के बचपन के दिनों से और जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका जुड़ाव काफी रहा है। कटक-भुवनेश्वर के साथ-साथ देशभर की सैकड़ों संस्थाओं में मामाजी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। संस्थाओं के संचालन में और उसको बढ़ाने में मामाजी के पास एक लंबा अनुभव है। शायद ही कटक में किसी ऐसे व्यक्ति के पास इस तरह का लंबा अनुभव हो। आज आप कटक की गलियों में घूमिये तो बच्चे-बच्चे की जुबान पर मामाजी शब्द आपको सुनने को मिलेगा। इतना ही नहीं, मामाजी का नाम लोगों के दिल से जुड़ा हुआ है और मारवाड़ी समाज के सभी घटक दलों के बीच एक सेतु बंधन का कार्य भी मामाजी करते हैं। देशभर में मामाजी को श्रद्धेय के रूप में देखा जाता है। इनकी प्रतिभा, छवि और इनकी विचारधाराओं को देखते हुए ही टीम विजय ने इनको अपना प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया था।
सवाल-चर्चा है कि विजय खंडेलवाल का कार्यकाल रिमोट से संचालित हो रहा था, क्या कहेंगे आप।
जवाब- पिछले साढे 4 साल के कार्यकाल के दौरान मुझे कहीं और कभी भी ऐसी अनुभूति नहीं हुई कि कोई हमें रिमोट कंट्रोल से संचालित कर रहा है। अगर ऐसा किया गया होता तो अंतिम क्षणों तक हमारी टीम के सभी सदस्य एक साथ ही थे और हर निर्णय पर अड़े रहते थे। चुनावी प्रक्त्रिया एक लोकतात्रिक प्रक्रिया है और लोकतंत्र में सबको स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की छूट है। अगर इस स्थिति में किसी साथी ने कोई निर्णय लिया तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम रिमोट कंट्रोल से संचालित थे और कोई रिमोट कंट्रोल से संचालित कर रहा था।
सवाल - अगर ऐसी बात है तो आज टीम विजय कहा है।
जवाब- टीम विजय हमेशा साथ चलती थी, क्योंकि यह दिलों की टीम थी और आज भी यह हर उस सदस्य के दिल में है जो इसके सदस्य थे। चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी के समर्थन करने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि टीम विजय का अस्तित्व नहीं है। टीम विजय आज भी जिंदा है और उनका सहयोग इस चुनाव में मामाजी को मिलेगा।
सवाल- रमन बगड़िया ने बयान दिया है 2015 में 8 कंप्यूटर समाज की नई टीम को नहीं सौपे गए, सच्चाई क्या है।
जवाब - मेरी जानकारी के अनुसार ये कंप्यूटर कभी भी कटक मारवाड़ी समाज के नहीं थे। यदि थे तो अब तक क्यों सोये रहे। अब चुनाव के बीच इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं बनता है।
सवाल - इस बार चुनाव में बाहर और भीतर का मुद्दा बहुत तेजी से उठा है, ऐसा क्यों?
जवाब-मुझे आश्चर्य होता है कि बाहर और भीतर का मुद्दा आखिर क्यों उठाया जा रहा है। जब मैं जोड़ने की बात करता हूं तो कुछ लोग तोड़ने की बात कर रहे हैं। हमारा इतिहास रहा है कि हम मारवाड़ी भाई बाहर के ही हैं और आज उत्कल की मिटटी का हिस्सा हो गए हैं। अंतर इतना है कि कोई पहले आया और कोई बाद में, लेकिन सच्चाई यह भी है कि आज दोनों ही इस प्रात की मिट्टी का हिस्सा हो गये हैं और राज्यवासियों के सुख-दुख के बराबरी के भागीदार भी हैं। हाल ही में चक्रवात फणि दौरान समाजसेवा में किसी भी एक सदस्य ने ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे यह लगा हो कि वह बाहर या भीतर से जुड़ा हुआ है। सबने भाईचारे के नाते उस दुख को हरने की कोशिश की जिसे हमारे प्रात के गरीब महाच्रकवात में सबकुछ गवाने के बाद झेल रहे थे। हम सभी ने मिलकर उनके दुख-दर्द को बाटा। कई जगहों पर लाइव किचेन की व्यवस्था की गई। इस दुख में हम साथ थे तो इस चुनावी घड़ी में बाहर और भीतर का मुद्दा उठाना बचकानी बात होगी।
सवाल-मातृशक्ति गठन का लक्ष्य क्या है?
जवाब-मातृशक्ति कटक मारवाड़ी समाज का एक अहम हिस्सा है और इसके बिना कटक मारवाड़ी समाज का अस्तित्व आधा है। समाज में लगभग 5800 सदस्य हैं जिनमें महिला सदस्यों की संख्या लगभग 2700 है। मातृशक्ति के संबोधन से 2700 महिलाओं का दृश्य सामने आता है। अगर आज कोई इस शक्ति को अलग करने की कोशिश करता है या करना चाहता है तो यह गलती दोबारा ना करे। इतिहास गवाह है कि जब भी मातृशक्ति की अनदेखी हुई है तो परिणाम सकारात्मक नहीं रहे। आज जो भी मातृशक्ति की अनदेखी कर रहा है उसे जरूर ही इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे।
सवाल-क्या ऐसा लग रहा है कि आपका लक्ष्य कुछ अधूरा रह गया है, जिसे आने वाले अध्यक्ष को पूरा करना चाहिए।
जवाब-समाज में हम लोग अच्छे के लिए प्रयास करते हैं और जब एक अच्छा कार्य पूरा होता है तो दूसरा लक्ष्य स्वत: सृजित हो जाता है। इसलिए अच्छे कार्य करने की इच्छा कभी समाप्त नहीं होती है। कार्यकाल एक अवधि के लिए होता है जिसके बाद जिम्मेदारी किसी दूसरे के कंधे पर चली जाती है। ऐसी स्थिति में इस बात का ध्यान देना जरूरी होता है कि समाज के नेतृत्व से पंक्ति में सबसे पीछे बैठा व्यक्ति भी जुड़े और वह समाज की मुख्यधारा में आए। तभी सही मायने में समाज का लक्ष्य हासिल होगा। अध्यक्ष पद का मेरा कार्यकाल संपन्न हुआ है। सेवा कार्य करने की इच्छा का कोई कार्यकाल नहीं होता है। हमारे सेवा कार्य जारी रहेंगे और आने वाली टीम को हमारा पूरा सहयोग होगा।
सवाल-मारवाड़ भवन को लेकर आप क्या कहेंगे?
जवाब- इसको लेकर मैंने आमसभा में स्थिति को साफ कर दिया था और उम्मीद है कि यह भवन मूर्तरूप लेगा। मारवाड़ भवन मारवाड़ी समाज की एकता का परिचायक होता है। यदि सही दिशा में हम जुड़े रहे तो हम कुछ भी कर सकते हैं। बड़े से बड़े प्रोजेक्ट को हम चुटकी बजाकर पूरा सकते हैं। जहा तक दानदाताओं की बात है अक्सर आपने देखा होगा कि कटक मारवाड़ी समाज के दानदाता कभी भी अपने वादे से नहीं मुकरते हैं। शायद ही कोई ऐसे घटनाक्रम होंगे कि जहा इस तरह पीछे हटने की बात नजर आई होगी। हा, एक बात जरूर है कि नई टीम के सदस्यों को उन सभी दानदाताओं से संपर्क साधना चाहिए। जहा तक समाज को लेकर मेरे सहयोग की बात है, मैं सदैव नवनिर्वाचित टीम के साथ तन-मन-धन के साथ खड़ा रहूंगा।
सवाल-गणेश पूजा में रैंप शो को लेकर कई तरह के विरोधाभास देखने को मिल रहे हैं, आयोजन की सच्चाई क्या है?
जवाब-गणेश पूजा के अवसर पर कटक मारवाड़ी समाज के परिवार को लेकर पारिवारिक रैंप शो का आयोजन किया गया था। यह एक पारिवारिक शो था। इसे लेकर कोई तूल देने की बात नहीं है। अगर कोई नहीं समझ पा रहा है तो उसका कोई मतलब नहीं है।