रत्न भंडार व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए: जगतगुरू शंकराचार्य
श्रीमंदिर रत्न भण्डार की चाबी कौन रखेगा, संपत्ति की जांच कौन करेगा, इसके लिए विशेष कानून है। वर्ष 1960 जगन्नाथ टेम्पल के रूल में यह बात स्पष्ट उल्लेखित है।
भुवनेश्वर, जेएनएन। श्रीमंदिर रत्न भण्डार की चाबी गायब होने के मामले में बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि रत्नभण्डार की व्यवस्था कब से है उसकी समीक्षा होनी चाहिए। इस तरह की एक महत्वपूर्ण कमरे की चाबी गायब होना कोई छोटी बात नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, संस्कृति एवं कानून मंत्री, श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक, पुरी के गजपति महाराज तथा सेवायत को लेकर समीक्षा की जानी चाहिए। श्रीमंदिर के आध्यात्मिक नेतृत्व को श्रीहीन करने का प्रयास चल रहा है।
गौरतलब है कि श्रीमंदिर रत्न भण्डार की चाबी कौन रखेगा, संपत्ति की जांच कौन करेगा, इसके लिए विशेष कानून है। वर्ष 1960 जगन्नाथ टेम्पल के रूल में यह बात स्पष्ट उल्लेखित है। प्रत्येक 6 महीने में इसकी जांच होने की बात भी है। बावजूद इसके 1985 साल के बाद से इस संवैधानिक दायित्व के अनुपालन में श्रीमंदिर प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। अब चाबी गायब होने का मामला उग्र रूप धारण करने के बाद सरकार ने कमेटी का गठन किया है। जगतगुरू शंकराचार्य ने कहा है कि यह समझ में नहीं आ रहा है की चाबी गायब होने की बात जानने के बाद भी सरकार चुप्पी क्यों साधे हुए थी।
डा. रघुवीर दास आयोग करेगा मामले की जांच
पुरी श्रीमंदिर के रत्न भण्डार की चाभी गायब होने के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने आयोग का गठन किया है। ओड़िशा हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस रघुवीर दास को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। जानकारी के मुताबिक श्रीमंदिर के रत्नभण्डार की चाबी गायब हो जाने की बात स्पष्ट हो जाने के बाद लोगों नें कई तरह का संदेह प्रकट किया है। इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। ऐसे में राज्य सरकार ने आयोग के जरिए न्यायिक जांच के निर्देश दिए हैं। ओड़िशा हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस दास को राज्य सरकार ने आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।