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Cyclone Amphan की दहशत के बीच उड़ी श्रीमंदिर की पताका, भक्तों ने माना अशुभ

Cyclone Amphan ओडिशा में चक्रवात एम्‍फन के खाैफ से हर कोई डरा हुआ है ऐसे में श्रीमंदिर की पताका उड़ने को भक्त अशुभ संकेत मान रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 06:10 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 06:10 PM (IST)
Cyclone Amphan की दहशत के बीच उड़ी श्रीमंदिर की पताका, भक्तों ने  माना अशुभ
Cyclone Amphan की दहशत के बीच उड़ी श्रीमंदिर की पताका, भक्तों ने माना अशुभ

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के बीच सुपर साइक्लोन एम्फन के खौफ से खौफजदा ओडिशा के लोगों में आज एक खौफ ने मानों आग में घी डालने का काम किया है। कोरोना एवं चक्रवाती तूफान एम्फन की चर्चा चारों तरफ चल ही रही थी कि आज इसी बीच श्रीक्षेत्र धाम पुरी में मौजूद महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के मंदिर के नीलचक्र से पतित पावन बाना (मंदिर के शीर्ष भाग में बांधे जाने वाला पताका) के उड़ जाने की खबर सामने आ गई। श्रीमंदिर से पतितपावन बाना के उड़ने को जगन्नाथ भक्त अशुभ संकेत मान रहे हैं। कुछ भक्तों का कहना है कि श्रीमंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है, ऐसे में इस तरह के अघटन सामने आ रहे हैं। 

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जानकारी के मुताबिक चक्रवात एम्फन के कारण प्रदेश के साथ श्रीक्षेत्र धाम में सामान्य से तेज हवा चल रही है। ऐसे में इसी हवा में नीलचक्र का पताका उड़ गया है। यहां उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कई बार श्रीमंदिर नीलचक्र का पताका उड़ने के समाचार मिलता रहा  है। नीलचक्र का पताका उडऩे के बाद श्रीमंदिर में रीति नीति बंद हो जाती है। पताका बांधे जाने के बाद पुन: रीति नीति शुरु होती है। हालांकि भक्त इसे अशुभ मानते हैं और आज की घटना को इसी कड़ी से जोड़कर देखे रहे हैं। 

तूफान फानी के आने पर भी उड़ी थी श्रीमंदिर की पताका

चक्रवात 'फानी' की वजह से चल रही तेज हवाओं की कारण भी 3 मई 2019 की शाम के समय भी श्रीमंदिर के नीलचक्र की पताका हवा में उड़ गई थी। हालांकि फानी के कारण चल रही तेज हवाओं को देखते हुए श्रीमंदिर प्रशासन, पुरी ने जगन्नाथ मंदिर की ध्वजा छोटी (5 हाथ की) की थी। उस समय भी पताका उड़ जाने को महाप्रभु के भक्त अशुभ मान रहे थे। चक्रवाती तूफान के आने से पहले इसे लेकर जगन्नाथ भक्तों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही थी। हालांकि उस समय श्रीमंदिर सेवकों ने कहा था कि पताका उड़ना कोई नई बात नहीं है। तेज हवा के कारण पताका उड़ जाती है। इसे अशुभ संकेत के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। इसके बाद मंदिर प्रशासन की तरफ से कहा गया कि नीलचक्र में छोटी ध्वजा ही फहराए जाने का निर्णय लिया गया था। आवश्यकता पड़ने पर ध्वजा को नीलचक्र में न फहराते हुए बांध देने की हिदायत दी गई थी। यह कदम तूफान के पुरी जिले के बालुखंड इलाके में लैंडफॉल करने की आशंका को देखते हुए उ ठाया गया था।

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