जाति व्यवस्था की व्यथा, मृतक के शव को नहीं मिल पाया कंधा
ओडिशा में जात-पात के भेदभाव के कारण 22 वर्षीय रवीन्द्र नायक की मृत्यु के बाद उसे कंधा तक नसीब न हो सका मृतक की मां दूसरी जाति से संबंध रखती थी।
भुवनेश्वर, जेएनएन। जात-पात की ज्वाला समाज को इस कदर आज भी अपने कब्जे में ले रखी है कि इस सामाजिक व्यवस्था के सामने मानवता बार-बार पराजित हो रही है। आगलपुर पंचायत केडुडुका गांव में 22 वर्षीय रवीन्द्र नायक की मृत्यु के बाद उसे कंधा देने के लिए समाज के लोग नहीं आए जिससे परिजनों ने बाध्य होकर ऑटो से रवीन्द्र का शव श्मशान तक पहुंचाया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 22 वर्षीय रवीन्द्र की तबियत खराब होने के चलते उसे डुंगुरुपाली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मगर इलाज के दौरान बुधवार को उनकी मौत हो गयी। परिजनों ने एंबुलेंस से शव उनके पैतृक गांव डुडका पहुंचाया। लेकिन जब शव के अंतिम संस्कार का समय आया तो जाति से बाहर किए गये इस परिवार के पक्ष में कोई भी खड़ा नहीं हुआ। इसकेपीछे कारण यह बताया गया कि मृतक की मां दूसरे जाति की है। इस कारण से परिवार को जाति से बाहर किया गया है। साल भर पहले मृतक रवीन्द्र के पिता के देहांत के समय भी ऐसा ही हुआ था। रवीन्द्र के पिता रत्नाकर नायक के शव के अंतिम संस्कार के समय भी जाति व्यव्यस्था न मान कर दूसरे जाति में विवाह करने वाले रत्नाकर के पक्ष में समाज का कोई व्यक्ति खड़ा नहीं हुआ था।