Move to Jagran APP

ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधित कानून 2020 के ऊपर सुप्रीमकोर्ट ने लगायी अंतरिम रोक

Odisha University Revised Act 2020 सुप्रीमकोर्ट ने ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधित कानून 2020 के ऊपर रोक लगा दी है। ओडिशा सरकार (Odisha Government) को तीन महीने के अन्दर जवाब देने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 11:41 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 11:43 AM (IST)
ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधित कानून 2020 के ऊपर सुप्रीमकोर्ट ने लगायी अंतरिम रोक
राज्य सरकार के कानून से है विश्वविद्यालयों में के कुलपति चुने जाने की व्यवस्था को प्रभावित होने की संभावना

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधित कानून 2020 के ऊपर सुप्रीमकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। विश्व विद्यालय मंजूरी आयोग (यूजीसी) की तरफ से दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के लिए संशोधित कानून पर रोक लगायी है। इसके साथ ही ओडिशा सरकार को तीन महीने के अन्दर जवाब देने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले हाईकोर्ट ने इस कानून पर हरी झंडी दिखा दिया था।

loksabha election banner

जेएनयू के रिटायर प्रोफेसर अजीत कुमार महान्ति एवं उत्कल विश्व विद्यालय के प्रो. कुंज बिहारी पंडा ने राज्य सरकार के विश्व विद्यालय संशोधन कानून को चुनौती देते हुए 9 नवम्बर 2020 को ओड़िशा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ओडिशा हाईकोर्ट ने इस कानून के सपक्ष में अपना फैसला सुनाया था। ऐसे में प्रो. महांति एवं यूजीसी दोनों ने हाईकोर्ट की राय को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी थी। यूजीसी की तरफ से कहा गया है कि राज्य सरकार का यह संशोधित विश्वविद्यालय कानून, यूजीसी एक्ट 1956 के यूजीसी रेगुलेशन 2018 के खिलाफ है। कोर्ट में दायर दो अलग अलग जनहित मामले में कोर्ट के नोटिस के आधार पर यूजीसी शिक्षा अधिकारी डा. सुप्रिया दाहिया ने सत्यपाठ दाखिल किया था।

गौरतलब है कि 9 नवंबर 2021 को कानून विभाग की ओर से ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक लाए जाने के पश्चात इसके खिलाफ हाई कोर्ट में मामला दायर किया गया था। याचिका में दर्शाया गया था कि राज्य सरकार ने ओडिशा विश्वविद्यालय कानून में संशोधन कर नया कानून बनाया है। लेकिन ओडिशा विश्वविद्यालय कानून में संशोधन या बदलाव करने की क्षमता राज्य सरकार के पास नहीं है। यह क्षमता केवल देश के संसद में है। संसद द्वारा ही संशोधित कानून लाया जा सकता है। इसी तरह तमाम विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा विभाग के अधीन आ रहे हैं। ऐसे में इनकी संचालन की जिम्मेदारी यूजीसी के हाथ में है। ऐसे में राज्य सरकार ऐसा अध्यादेश लाकर विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता को ठेस पहुंचा रही है। इसके चलते विश्वविद्यालय के कुलपति चुने जाने की व्यवस्था प्रभावित होने की काफी संभावना है। ओडिशा सरकार ने जो कानून बनाया है इसके तहत विश्वविद्यालय में अध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया को ओडिशा लोक सेवा आयोग (ओपीएससी) संचालन करेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.