भालू बनकर बाप का खून चूसा! अंधविश्वास में ओझा की गला घोंट हत्या, दो सनकी युवक गिरफ्तार
बिहार में दो युवकों ने अंधविश्वास में एक ओझा की गला घोंटकर हत्या कर दी। उन्हें शक था कि ओझा ने भालू बनकर उनके पिता का खून चूसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दर्शाती है, जिसके प्रति जागरूकता फैलाना आवश्यक है।

अंधविश्वास में ओझा की गला घोंट हत्या
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राजधानी भुवनेश्वर स्थित चंदका अभयारण्य के भीतर स्थित पीतागाड़िया गांव के पास से बरामद नर कंकाल मामला एक जघन्य हत्याकांड घटना होने के संदर्भ में पुलिस को प्रमाण मिला है। पुलिस को मिले सबूतों से स्पष्ट हुआ है कि मारे गए व्यक्ति बलराम देवगाम (72) की दो युवकों ने गला दबाकर हत्या की थी।दोनों ने पुलिस के सामने अपराध कबूल कर लिया है।
आरोपियों के नाम पीतागाड़िया निवासी कह्नई हेम्ब्रम (27) और राम सामदा (25)हैं। दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां जमानत ना मिलने पर जेल भेज दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक बलराम एक ‘गुनिया’ (ओझा) था और ग्रामीणों का मानना था कि वह रात में ‘भालू’ बन जाता था और इंसानों का खून चूसकर मार डालता था।आरोपियों के पिता भी उसकी इसी “टोना-टोटका शक्ति” का शिकार हुए थे, ऐसा संदेह होने पर उन्होंने बलराम की हत्या कर दी।
केन्दुझर, मयूरभंज, झारसुगुड़ा, गजपति, मोहना जैसे कई आदिवासी बहुल इलाकों में अब भी ऐसे अंधविश्वास जड़ जमाए हुए हैं और ‘गुनिया’ या ‘डायन’ के शक में लोगों की हत्या कर दी जाती है।
लेकिन राजधानी के आसपास इस तरह की घटना होना सभी को हैरान कर दी है।दोनों आरोपी मयूरभंज जिले के मूल निवासी हैं, पर कई वर्षों से यहां रह रहे थे।फिर भी वे अंधविश्वास और कुप्रथा से मुक्त नहीं हो सके,यह बात इस घटना से साफ हो गई।
कैसे हुआ पर्दाफाश
मृतक के पास से एक लुंगी और मिट्टी पकाने वाली मटकी बरामद हुई थी।शव पर मांस नहीं था, केवल कुछ हड्डियां ही मिली थीं। लुंगी और मटकी से शव की पहचान बलराम के रूप में हुई।
मृतक के बेटे रामचंद्र ने इन वस्तुओं की पहचान की।उसने बताया कि 30 सितंबर से उसके पिता लापता थे।पहले भी वे कभी-कभी कई दिनों के लिए घर से बाहर चले जाते थे और लौट आते थे, इसलिए परिवार ने थाने में कोई रिपोर्ट नहीं की थी।
जब शव की पहचान बलराम के रूप में हुई, तब बेटे ने पुलिस को पुराने विवाद और धमकी की जानकारी दी।उसने बताया कि कह्नई और राम पहले भी उसके पिता को धमका चुके थे।
गांव वालों से पूछताछ में भी पता चला कि बलराम झाड़-फूंक करता था। पुलिस ने शक के आधार पर कह्नई और राम को हिरासत में लेकर पूछताछ की।थाने में दोनों ने सारा सच कबूल किया और पुलिस को घटनास्थल दिखाया। पुलिस ने मौके से झोला, टॉर्च, हांड़िया (स्थानीय शराब) की बोतल और एक डंडा बरामद किया।
क्यों की हत्या – कह्नई का बयान
पुलिस को दिए बयान में कह्नई ने बताया कि कुछ महीने पहले बलराम ने अपने पोते का जन्मदिन मनाने के लिए भोज का आयोजन किया था।पूरे गांव के लोग शामिल हुए, हांड़िया (देसी शराब) पी और देर रात तक नाचगाना चला।उसी रात अचानक कह्नई के पिता परशुराम गिर पड़े और मर गए।
ठीक उसी तरह कुछ दिनों बाद राम के पिता की भी अचानक मृत्यु हो गई।दोनों की कोई बीमारी नहीं थी। लगातार दो लोगों की रहस्यमयी मौत से गांव वालों का शक बलराम पर गया।अफवाह फैल गई कि बलराम ‘गुनिया’ है, जो रात में भालू बनकर इंसानों का खून चूसता है।
इससे कह्नई के मन में प्रतिशोध की भावना जागी।उसने ठान लिया कि अब कोई और बलराम का शिकार न बने। राम ने भी अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए उसका साथ दिया।दोनों को जानकारी मिली कि दुर्गाष्टमी की रात यानी 30 सितंबर को बलराम फिर “भालू” बनेगा और किसी की जान लेगा।
इसलिए दोनों तालाब के पास छिपकर बैठे रहे।देर रात बलराम वहां आया।कह्नई के अनुसार, उन्होंने देखा कि बलराम के हाथ-पैरों के नाखून बड़े और नुकीले हो रहे थे, शरीर पर बाल उग रहे थे और वह भालू जैसा दिखने लगा।
यह देखकर दोनों ने झट से उस पर हमला कर दिया।जब बलराम फिर से मानव रूप में लौट आया, तब उन्होंने उसका गला दबाकर हत्या कर दी और शव को पास की नाली में गाड़ दिया।

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