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इन्होंने, गरीबी के खिलाफ जंग में शिक्षा को बनाया हथियार; संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी

आदिवासी बच्चों को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा, खाना, किताबें, ड्रेस मुहैया कराने वाले डॉ अच्युत सामंत को आदिवासियों का मसीहा माना जाता है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 06:38 PM (IST)
इन्होंने, गरीबी के खिलाफ जंग में शिक्षा को बनाया हथियार; संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी
इन्होंने, गरीबी के खिलाफ जंग में शिक्षा को बनाया हथियार; संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी

नई दिल्ली, जेएनएन। आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा, खाना, किताबें, ड्रेस मुहैया कराने वाले डा. अच्युत सामंत ओडिशा से बीजू जनता दल (बीजद) से राज्यसभा सांसद बने हैं। उन्होंने बुधवार को राज्यसभा में उड़िया में सांसद पद की शपथ ली। सामंत गत 23 मार्च को ओडिशा से बीजद से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। वह मार्च में ही बीजद में शामिल हुए थे। अशिक्षा के खिलाफ जंग उनके सामाजिक सरोकार के जज्बे को दर्शाती है। सामंत को आदिवासियों का मसीहा भी कहा जाता है। उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंशः

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सांसद बनने के बाद आप किस चीज पर ज्यादा फोकस करना चाहेंगे?
अच्युत सामंत खुुद को सबसे गरीब सांसद मानते हैं। इस इस वक्त उनके पास 3.40 लाख रुपये बैंक बैलेंस है। उनके मुताबिक, मेरे पास जायदाद के नाम पर भी कुछ नहीं है। मैं ओडिशा पर खास ध्यान दूंगा। जनता से जुड़े मुद्दों को संसद में उठाऊंगा। यहां के लोगों के हित में काम करूंगा।

क्या आगामी चुनाव में ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल के बीच गठबंधन हो सकता है?
इस पर पार्टी आलाकमान ही फैसला करेगा। मैं अभी इस मामले पर कुछ नहीं कहूंगा।

आदिवासियों के लिए आप क्या करना चाहेंगे?
हम कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (किस) में करीब 27 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को केजी से पीजी तक की मुफ्त शिक्षा, छात्रावास और भोजन मुहैया करा रहे हैं। आगे भी उनके हित के लिए काम करता रहूंगा।

अशिक्षा के खिलाफ आपने बहुत कुछ किया है और क्या करने का इरादा है?
अशिक्षा के खिलाफ हमारी मुहिम आगे भी जारी रहेगी। गरीब बच्चों को शिक्षित करने की कोशिश जारी रहेगी।

किन्नर समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए और क्या करने की जरूरत है?
किन्नर भी तो इंसान हैं। हम उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे।

कई राजनेताओं की तरह आपने भी अब तक शादी नहीं की, कोई खास वजह तो नहीं?
जीवन के संघर्ष में हमें शादी करने का मौका ही नहीं मिला।

क्या आप शिक्षण संस्थानों को अभी और नई ऊंचाइयां देना चाहेंगे?
हां, मैं ओडिशा की तरह अन्य राज्यों में भी कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (किस) की शाखाएं खोलूंगा।

ओडिशा के लिए ऐसा क्या करना चाहेंगे, जो अब तक नहीं हुआ?
राज्य की हर समस्या के समाधान की कोशिश करता रहूंगा।

आदिवासी बच्चों के साथ अच्युत सामंत ।

जानिए, कौन हैं अच्युत सामंत
डॉ अच्युत सामंत ओडिशा के प्रसिद्ध समाजसेवी व शिक्षाशास्त्री हैं। वह कलिंग प्रौद्योगिकी संस्थान (कीट), कलिंग औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान (किस) व कलिंग समाज विज्ञान संस्थान के संस्थापक हैं। इन संस्थानों में आदिवासी छात्र-छात्राओं को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।

सामंत का जन्म ओडिशा के कटक जिले के कलारबंका नामक गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम निर्मला रानी व पिताजी का नाम अनादि चरण था। उनका जीवन अत्यन्त गरीबी व अभाव में बीता। इसके बावजूद उन्होने उत्कल विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एएसससी की और भुवनेश्वर के महर्षि महाविद्यालय में अध्यापन करने लगे। वे आज भी अविवाहित हैं। डॉ अच्युत को कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।

बीजद में इसलिए शामिल हुए सामंत
अच्युत सामंत के मुताबिक मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की कार्यशैली व स्वच्छ छवि उनके सरलता से प्रेरित होकर वह बीजद में शामिल हुए हैं। मैं समाज सेवा कर रहा था राजनीति में आने से सामाजिक कार्य को और गति देने में मदद मिलेगी।

ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के साथ डा. अच्युत सामंत।

जानिए, किसने क्या कहाः

सामंत के बीजद में शामिल होने से पार्टी और अधिक मजबूत होगी।
-नवीन पटनायक, मुख्यमंत्री, ओडिशा

भारत को और सामंतो की जरूरत है।
-पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम

सामंत में असली भारत रत्न मिला।

-किरण बेदी, पूर्व आईपीएस अधिकारी

मालवीय जैसे हैं सामंत।
अर्जुन सिंह, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री


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