इंजनों के बेहतर उपयोग के लिए रेलवे ने तैयार किया सॉफ्टवेयर
भारतीय रेल ने बिजली और डीजल से चलने वाले इंजनों की परिचालन क्षमत
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर
भारतीय रेल ने बिजली और डीजल से चलने वाले इंजनों की परिचालन क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए नवीन विश्लेषणात्मक उपाय शुरू किए हैं। इसके तहत ऐसे इंजनो के परिचालन की समय सारिणी के लिए अंक गणना के आधार पर विकसित सॉफ्टवेयर का तैयार किया गया है। पूर्वतट रेलवे से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय रेल के पास देशभर में बिजली और डीजल से चलने वाले यात्री रेल इंजनों की कुल संख्या 3300 है। यात्री ट्रेनों में इन इंजनों का इस्तेमाल एक पूर्व निर्धारित समय सारिणी के अनुसार किया जाता है जिन्हें लोकोमोटिव ¨लक कहा जाता है। अभी तक यह समय सारिणी रेलवे के सभी 16 जोन द्वारा अपने हिसाब से हाथ से तैयार की जाती थी लेकिन अब इसके लिए बाकायदा एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है।
रेलवे बोर्ड के ट्रांसफॉर्मेशन सेल द्वारा एक पायलट योजना के तहत रेलवे के सभी 16 जोन ने मिलकर इसकी शुरुआत की है। इसके जरिए लोकोमोटिव ¨लक का पुनर्गठन किया गया है। इससे यात्री रेलगाड़ियों में प्रयुक्त होने वाले (लगभग 720 करोड़ रुपये की लागत वाले) 30 डीजल और 42 इलेक्ट्रिक इंजनों की बचत होगी जिनका इस्तेमाल आगे मालगाडि़यों को चलाने में और रेलवे के लिए अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने के लिए किया जा सकेगा।
यात्री रेलगाड़ियों के परिचालन समय में अक्सर होने वाले परिवर्तन तथा कई रेल मार्गो विद्युतीकरण होने की वजह से यात्री ट्रेनों की समय सारिणी बनाना एक बेहद जटिल काम होता है लिहाजा रेल मंत्रालय ने इस बात को ध्यान में रखते हुए 2018.19 के बजट में यात्री रेलगाड़यिों में डीजल और बिजली के इंजनों के इस्तेमाल की नवीन विष्लेषणात्मक प्रणाली को सीआरआइए द्वारा संस्थागत स्तर पर विकसित करने और क्रियान्वित करने की परियोजना के लिए आवंटन किया है।