नीतियों में हो रही गड़बड़ी पर सख्त हुआ श्रीमंदिर प्रशासन
श्री क्षेत्र धाम पुरी में श्रीमंदिर प्रशासन ने श्रीमंदिर में हो रही विभिन्न गड़बड़ियों को लेकर अब सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया हे।
जेएनएन, भुवनेश्वर/पुरी : श्री क्षेत्र धाम पुरी में श्रीमंदिर प्रशासन ने श्रीमंदिर में हो रही विभिन्न गड़बड़ियों को लेकर सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। श्रीमंदिर प्रशासन ने अनुशासन हीनता एवं नीतियों में हो रही गड़बड़ी व देरी के लिए 12 दिन के अंदर चेतावनी पत्र के साथ दो नोटिस जारी किया है। इससे श्रीमंदिर का सेवायत वर्ग सकते में आ गया है। इन नोटिस का ही परिणाम है कि पिछले कुछ समय से चली आ रही धारणा में अब बदलाव देखा जा रहा है। नववर्ष के बाद से महाप्रभु की नीति भी सामान्यत: ठीक-ठाक चल रही है, यह श्री मंदिर प्रशासन की चेतावनी भरी चिट्ठी का प्रभाव कारण होने की चर्चा है।
विगत 3 जनवरी को मुख्य प्रशासक के आदेश पर नीति प्रशासक विश्वजीत विश्वाल ने सभी निजोग के संपादक (सचिव) के पास चेतावनी भरी चिट्ठी भेजी थी। इस चिट्ठी में कहा गया कि श्री विग्रहों की दैनिक तथा पर्व के दिनों में निर्धारित समय के अंदर नीति को संपन्न करने में कितनी देरी हो रही है। यह देरी कितने समय की है एवं इसका कारण कंप्यूटर के जरिए पंजीकृत कर रखने की व्यवस्था की गई है। निजोग की तरफ से पालिया सेवकों को निर्धारित समय में महाप्रभु की नीति को संपादित करने की सलाह दी जाएगी। यदि कोई सेवक निर्धारित समय में नीति संपादन करने में देरी करता है तो फिर संबंधित सेवक को उस दिन पालिया पुरस्कार एवं अन्य प्राप्य को स्थगित रख उसके खिलाफ अनुशासनात्मक करवाई की जाएगी। सेवा में 15 मिनट की देरी के लिए एक चौथाई पालिया पुरस्कार एवं अन्य प्राप्य को स्थगित कर दिया जाएगा। आधा घंटा की देरी होने पर आधा पलिया पुरस्कार एवं अन्य प्राप्य तथा एक घंटा की देरी होने पर उस दिन का सभी पालिया पुरस्कार एवं प्राप्य को स्थगित करने श्रीमंदिर प्रशासन ने अपने चेतावनी पत्र में उल्लेख किया है। उल्लेखनीय है कि विगत 11 जनवरी को ब्रह्मा गड़बड़ी मामले में मुख्य प्रशासक ने 9 सेवकों को नोटिस जारी किया था। नोटिस में दर्शाया गया था कि महाप्रभु के घट (प्राण प्रतिष्ठा) परिवर्तन में अनुशासनहीनता के चलते देरी हुई थी। इस अनुशासनहीनता में इन सभी सेवकों के संलिप्त होने का प्रमाण मिला है। पिछले साल 14 नवंबर को कैफियत तलब किया गया था। हालांकि जो कैफियत मिला वह संतोषजनक नहीं था। ऐसे में श्रीमंदिर कानून के 21 (क) धारा के मुताबिक 9 लोगों के पास दूसरी बार श्रीमंदिर प्रशासन की तरफ से नोटिस जारी किया गया है। 15 दिन के अंदर इसका जवाब देने के लिए उन्हें कहा गया है।
इसी तरह बीते साल 28 दिसंबर को श्रीमंदिर में अचलावस्था देखी गई थी। श्रीमंदिर का द्वार नहीं खुला था। 14 घंटे तक महाप्रभु को भूखे रहना पड़ा था। इस घटना को लेकर श्रीमंदिर प्रशासन ने विगत 14 जनवरी को 18 सेवकों के खिलाफ नोटिस भेजा है। इसका उत्तर एक सप्ताह के अंदर देने के लिए श्री मंदिर प्रशासन ने कहा है।