Pari Murder Case: परी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ व ओडिशा सरकार को भेजा नोटिस
Pari Murder Case ओडिशा में पांच महीने पहले पांच साल की बच्ची परी की हत्या कर दी गई थी। इसमें मंत्री अरुण साहू व उनके सहयोगी बाबुली का हाथ होने का आरोप परी के माता-पिता ने लगाया था।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। Pari Murder Case: ओडिशा में नयागड़ के परी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार व सीबीआइ को नोटिस भेजा है। परी की मां सौदामिनी के आवेदन को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस भेजा है। परी की मां ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की थी। पांच महीने पहले पांच साल की बच्ची परी की हत्या कर दी गई थी। इसमें मंत्री अरुण साहू व उनके सहयोगी बाबुली का हाथ होने का आरोप परी के माता-पिता ने लगाया था। हालांकि पुलिस इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बदले परी के माता पिता को ही परेशान कर रही थी। अभियुक्त को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही थी।
परी की मां की पिटाई करने का भी आरोप पुलिस पर लगा है। परी की मां ने खुद यह आरोप लगाया है। पुलिस प्रशासन से जब न्याय नहीं मिला, तब परी के माता-पिता भुवनेश्वर आ गए। यहां पर वे विधानसभा के सामने आत्मदाह का प्रयास किए। दंपत्ति के इस कदम के बाद जब विरोध के स्वर उठे, तब सरकार ने एसआइटी जांच के निर्देश दिए। एसआइटी इस मामले की जांच कर एक नाबालिग को गिरफ्तार किया। अभियुक्त परी के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर देने की बात एसआइटी ने मीडिया को जानकारी दी थी। हालांकि एसआइटी के इस आरोप का परी के माता-पिता ने खंडन करते हुए मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की। हालांकि राज्य सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। अंत में परी के माता सौदामिनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा है।
इस मामले की जांच राज्य सरकार के द्वारा गठित विशेष जांच टीम एसआइटी कर रही है, मगर परी के परिवार के लोगों ने इस जांच पर बार-बार सवाल खड़े किए हैं। अब मामले की सीबीआइ से निष्पक्ष जांच कराने के लिए सौदामिनी ने सुप्रीम कोर्ट में रीट पिटीशन दाखिल की है। संविधान की धारा 32 के मुताबिक यह रीट पिटिशन दाखिल की गई है। सौदामिनी के आवेदन में दर्शाया गया कि इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका संदेहजनक है। ऐसे में मामले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। इससे सच्चाई सबके सामने आएगी व परी के परिवार को न्याय मिलेगा।
गौरतलब है कि नयागड परी हत्या मामले को लेकर विधानसभा के अंदर व बाहर जमकर प्रदर्शन हुआ था। कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। विधानसभा के बाहर परी की माने तो आत्मदाह करने का भी प्रयास किया था। हालांकि मामले की जांच को लेकर हाईकोर्ट ने संतोष जताया। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर जस्टिस एस.मुरलीधर और जस्टिस संजू पंडा को लेकर गठित खंडपीठ की अदालत में जनहित याचिका की सुनवाई हुई थी। जांच को लेकर पहले से दाखिल 3 स्टेटस रिपोर्ट को हाईकोर्ट के खंडपीठ ने देखा। वर्ष 2020 दिसंबर 15 में पहला, दिसंबर 23 में दूसरा और 11 जनवरी 2021 में तीसरी रिपोर्ट दाखिल की गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, क्राइम ब्रांच के आइजी की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने घटना की जांच की है। जांच करने वाली इस टीम की जांच रिपोर्ट को देख कर हाईकोर्ट ने उसे संतोषजनक कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई मार्च 25 तारीख को टाल दी गई है। उसी समय के दौरान जांच का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत ने फिर से निर्देश जारी किया है। दूसरी ओर, आवेदनकारी वकील पदमालय महापात्र की ओर से और एक हलफनामा अदालत में दाखिल किया गया है। परी हत्या घटने की निष्पक्ष जांच के लिए जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को दिया जाए यह बात उस हलफनामे में दर्शाई गई है।