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Mohan Bhagwat In Odisha: पांच दिवसीय दौरे पर भुवनेश्वर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत

Mohan Bhagwat In Odisha संघ प्रमुख मोहन भागवत ओडिशा में कोरोना संक्रमण से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए संघ द्वारा किए जा रहे राज्यव्यापी सेवा कार्य की भी समीक्षा करेंगे। संभावित तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए जरूरी प्रशिक्षण व तैयारी को लेकर भी वह जानकारी लेंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 07:55 PM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 07:55 PM (IST)
Mohan Bhagwat In Odisha: पांच दिवसीय दौरे पर भुवनेश्वर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत
पांच दिवसीय दौरे पर भुवनेश्वर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत पांच दिवसीय दौरे पर मंगलवार रात भुवनेश्वर पहुंचे। मंगलवार की ही देर रात उन्होंने कुछ विशिष्ट लोगों से मुलाकात की। विभिन्न बैठकों में भाग लेकर वह संघ के सांगठनिक विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। साथ ही, कोरोना संक्रमण से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए संघ द्वारा किए जा रहे राज्यव्यापी सेवा कार्य की भी समीक्षा करेंगे। संभावित तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए जरूरी प्रशिक्षण व तैयारी को लेकर भी संघ प्रमुख जानकारी लेंगे। गुरुवार को वह पुरी जाएंगे और महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करेंगे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गत रविवार को कहा था कि अगर चीन पर निर्भरता बढ़ती है तो हमें उसके सामने झुकना होगा। इसलिए हमें आत्म-निर्भर बनाना होगा। एक देश जितना ही आत्मनिर्भर होगा उतना ही सुरक्षित होगा। 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक स्कूल में ध्वजारोहण के बाद भागवत ने कहा कि स्वदेशी का मतलब भारत की शर्तों पर कारोबार से है।

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उन्होंने कहा कि हम इंटरनेट और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। हमारे देश में मूल तकनीक नहीं है। यह बाहर से आई है। भागवत ने कहा, 'एक समाज के रूप में हम चीन के बारे में कितना भी चिल्लाएं और चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करें, लेकिन आपके मोबाइल में जो कुछ भी है वह कहां से आता है? चीन पर निर्भरता बढ़ी तो हमें उसके आगे झुकना पड़ेगा। सरसंघचालक ने कहा कि आर्थिक सुरक्षा जरूरी है। प्रौद्योगिकी का अनुकूलन हमारी शर्तो पर होना चाहिए। हमें स्व-निर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का मतलब यह नहीं है कि हम हर चीज की अनदेखी करें। अंतरराष्ट्रीय व्यापार बना रहेगा, लेकिन यह हमारी शर्तों पर होना चाहिए। इसके लिए हमें आत्म-निर्भर होना होगा। भागवत ने कहा कि जो कुछ भी हम अपने यहां बना सकते हैं, उसे बाहर से नहीं खरीदना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी आर्थिक दृष्टि अधिक उत्पादन की होनी चाहिए और उत्पाद की गुणवत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। 


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