चिलिका में वॉटर एरोड्रम का विरोध शुरू
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में पहली बार जल विमान तल (वॉटर ए
संवाद सूत्र, भुवनेश्वर : पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में पहली बार जल विमान तल (वॉटर एरोड्रम) के निर्माण के प्रस्ताव की घोषणा होने के बाद इसे लेकर विवाद गहराने लगा है। कुछ स्थानीय संगठनों के साथ ब्रह्मागिरी एवं पुरी के विधायक भी इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। चिलिका झील में बनने वाले इस परियोजना के विरोध में लोगों ने आवाज उठानी आरंभ कर दी है। लोगों का आरोप है कि चिलिका झील में विमान उतरने से मछली सहित जलचर जीवों को काफी नुकसान होगा। इसके अलावा चिलिका झील पर निर्भर मछुआरों की आजीविका पर भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। साथ ही प्रवासी पक्षियों का आगमन रूप जाएगा। चिलिका झील के शांत जल में विमान उतरने से होने वाले कंपन के कारण जैव विविधता की हानि होगी।
गौरतलब है कि हाल में केंद्र सरकार ने जल विमान परिवहन को लेकर घोषणा की थी कि चिलिका झील सहित देश के तीन स्थान पर जल में विमान उतरने की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इस प्रकल्प की घोषणा के बाद ब्राह्मागिरी के विधायक संजय दासवर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसी परियोजना की घोषणा कर जैव विविधता वाले चिलिका झील को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि चिलिका झील में 375 प्रकार की मछलियां, इरावाड़ी डॉलफीन, 230 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं संभावित वॉटर एरोड्रम बनने से इनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाएगा। शासक बीजू जनता दल ने इस मुद्दे पर जांच के बाद प्रतिक्रिया देने की बात कही है। बीजद प्रवक्ता मानस मंगराज ने कहा कि अपनी जैव विविधता के कारण विश्व में अलग पहचान बनाने वाली चिलिका झील पर रिपोर्ट मांगी जाएगी रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।