वापस रत्न ¨सहासन पर पहुंचे भगवान श्रीजगन्नाथ
रथ पर अधरपणा नीति संपन्न होने के बाद बुधवार को श्रीक्षेत्र धाम पुरी में महाप
जासं, भुवनेश्वर : रथ पर अधरपणा नीति संपन्न होने के बाद बुधवार को श्रीक्षेत्र धाम पुरी में महाप्रभु के वापस रत्न ¨सहासन पर जाने की रस्म निभाई गई। रथयात्रा महापर्व का अंतिम दिन होने से बुधवार को भी भक्तों की भारी भीड़ श्रीक्षेत्र धाम में नजर आई। विगत 14 जुलाई को रथयात्रा के दिन अपने मंदिर से बाहर आए भगवान श्री जगन्नाथ ने बड़े भाई बलदेव एवं बहन देवी सुभद्रा के साथ श्रीमंदिर में प्रवेश किया। इसे आम भाषा में नीलाद्री बिजे कहा जाता है। रथ में महालक्ष्मी जी को साथ न लेकर जाने के कारण मां लक्ष्मी भगवान का रास्ता रोक लिया। भगवान जगन्नाथ रसगुल्ला खिलाकर मां लक्ष्मी के नाराजगी को दूर किया। इस दौरान महाप्रभु के सेवक एवं महालक्ष्मी के सेवकों के बीच होने वाला वार्तालाप काफी रोचक रहा। गौरतलब है कि खुद को रथयात्रा में साथ न ले जाने से नाराज महालक्ष्मी गुंडिचा मंदिर पहुंच कर श्रीजगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को तोड़ती हैं। वापसी रथयात्रा के समय पुरी के गजपति महाराज के आवास के समक्ष भगवान जगन्नाथ और महालक्ष्मी की भेंट होती है। नीलाद्री बिजे के समय भगवान जगन्नाथ नाराज लक्ष्मी जी को मनाने के लिए रसगुल्ला खिलाते हैं यह रस्म देखने पुरी में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ हर साल जमा होती है।