ओडिशा में रैनसम अटैक का खतरा
क्राइम ब्रांच के अनुसार यह लकी रैनसमवेयर जिप अटैचमेंट रहने वाला स्पॉम ई-मेल के जरिये कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाता है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। विगत मई में रैनसमवेयर सॉफ्टवेयर के हमले के खौफ से उबरे ही थे कि सितंबर में फिर इसका अंदेशा बढ़ गया है। यह साइबर हमला आपके सिस्टम पर कब हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। सिस्टम यानी कंप्यूटर से हैक करके आपके कागजात की एवज में फिरौती मांगता है जो मोटी रकम के रूप में होती है। इस पर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एडवाइजरी जारी की है। क्राइम ब्रांच की ओर से आम लोगों से आवश्यक सतर्कता बरतने का सुझाव दिया गया है।
क्राइम ब्रांच के अनुसार यह लकी रैनसमवेयर जिप अटैचमेंट रहने वाला स्पॉम ई-मेल के जरिये कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाता है। प्लीर्ज ंप्रट, डॉक्यूमेंट्स, फोटो, इमेजस, स्कानस, पिक्चर लिखा हुआ आया ई-मेल मेसेज खोलने पर लकी रैनसमवेयर स्वत: डाउनलोड हो जाता है। इसके बाद कंप्यूटर का बैक ग्राउंड बदल जाने के साथ एचटीएम फाइल लकीटस (डॉट) एचटीएम सामने आएगा। प्रयोग कर्ता को इसमें पहले डेढ़ लाख रुपये देने की मांग की जाएगी। ऐसे में इससे बचने के लिए इस तरह के ई-मेल न खोलने, अनजान व्यक्ति के साथ चैट न करने, एंटी वायर अपडेट करने, नियमित डाटा बैकअप रखने, विभिन्न प्रोग्रामों को अपडेट रखने के लिए क्राइम ब्रांच की ओर से सलाह दी गई है। उल्लेखनीय है कि रैनसमवेयर मेलवेयर टूल है, जिसका प्रयोग करते हुए मई-2017 में एक वैश्विक रैनसमवेयर हमला हुआ था। इसे साइबर हमला भी कहा गया। इसे दुर्भावनापूर्ण फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर भी माना गया है।
यह कंप्यूटर सिस्टम की सभी फाइलों को इंक्रिप्ट कर देता है। जैसे ही सॉफ्टवेयर इन फाइलों को इंक्रिप्ट कर देता है, वैसे ही वह फिरौती मांगने लगता है और धमकी देता है कि यदि उतनी राशि नहीं चुकाई तो वह कंप्यूटर के सभी फाइलों को बर्बाद कर देगा। इसके बाद इन फाइलों तक कंप्यूटर उपयोगकर्ता तब तक देख या उपयोग नहीं कर सकता जब तक वह फिरौती में मांगी गई राशि का भुगतान न कर दे। पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) पर रैनसमवेयर की घटना चर्चित होने के बाद ही अब मोबाइल को लक्षित किया जा रहा है।
आमतौर पर मोबाइल में रैनसमवेयर किसी डाटा को इंक्रिप्ट नहीं करता है, क्योंकि कोई भी मोबाइल के सभी आवश्यक डाटा र्को ंसक के जरिये आसानी से वापस पाया जा सकता है। इस कारण इसमें एक तरह के ब्लॉक करने की तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे कोई मोबाइल का उपयोग न कर सके। इस तरह के मोबाइल रैनसमवेयर मुख्यत: एंड्रायड फोन को अपना शिकार बनाता है, क्योंकि इसमें कोई भी आसानी से दूसरे अनजान स्नोत से एप डाउनलोड और स्थापित कर सकता है।
खास बात यह है कि इसमें फिरौती की रकम चुकाने हेतु समयसीमा निर्धारित की जाती है और यदि कोई समय से पैसा नहीं चुकाता तो उसके लिए फिरौती की रकम बढ़ जाती है।
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