भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के रायगड़ा जिले में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के करीब 13 साल बाद उच्च न्यायालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और ओडिशा पुलिस को मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति मुराहरि रमन की खंडपीठ ने ओडिशा पुलिस और सीआरपीएफ दोनों को पिदेरा कदैस्का की विधवा को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
थर्ड डिग्री के कारण हुई थी मौत
जानकारी के मुताबिक कदैस्का को सीआरपीएफ और पुलिस ने माओवादी होने के संदेह में पकड़ा था और 2010 में रायगड़ा जिले के चंद्रपुर पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। तीन जून, 2010 को सुरक्षा बलों की हिरासत में थर्ड डिग्री के कारण कथित तौर पर उसकी मौत हो गई थी।
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति मुराहरि रमन की खंडपीठ ने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है कि मृत आदिवासी, जिसे माओवादी करार दिए जाने के बाद यातना देकर मार दिया गया था, वह समाज के गरीब वर्गों से संबंधित था।
वकील अक्षय नायक ने कहा है कि एक मामला दर्ज किया गया था और यह उचित था कि मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बीच सामंजस्य नहीं होने पर डॉक्टरों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की जाए।
8 सप्ताह की दी अवधि
अदालत ने CRPF और ओडिशा राज्य पुलिस को आठ सप्ताह की अवधि के भीतर 10 लाख रुपये का मुआवजा देने और नौ सप्ताह के बाद एक हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।