सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हरकत में आया पुरी श्रीमंदिर प्रशासन
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में जरूरी सुधार के लिए सेवक, सेवायत एवं जनसाधारण से सुझाव आमंत्रित किए है।
भुवनेश्वर, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हरकत में आए पुरी श्रीमंदिर प्रशासन ने नोटिस जारी कर सेवायतों तथा मंदिर कर्मचारियों से कहा है कि वे किसी तरह का देय या दान देने के लिए भक्तों को बाध्य नहीं कर सकते। साथ ही सेवायतों को निर्देश दिया गया है कि भक्तों के लिए श्री मंदिर में दर्शन के दौरान किसी तरह की बाधा उत्पन्न न करें। गौरतलब है कि श्रीमंदिर में दर्शन की असुविधा तथा सेवायतों के आचरण संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि मंदिर के सेवक भक्तों से दान दक्षिणा एवं अन्य सामग्री नहीं ले सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में जरूरी सुधार के लिए सेवक, सेवायत एवं जनसाधारण से सुझाव आमंत्रित किए है। पुरी जिला प्रशासन की ओर से इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दी गई है। शिकायत व सुझाव पुरी जिला जज के समक्ष आगामी 30 जून के मध्य शिकायतें दाखिल की जा सकती है। इस बीच मंदिर प्रशासन ने एक और निर्णय लिया है जिसके तहत अब से श्रीमंदिर परिसर के अंदर भक्त मार्बल स्मृति चिह्न नहीं लगा सकते हैं।
न्यायिक जांच से स्पष्ट होगा चाबी का रहस्य : जेना
महाप्रभु के रत्नभंडार की चाबी गायब होने के मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। चाबी कहां थी, इसके गायब होने के पीछे क्या सच्चाई है, वह सब जांच के बाद स्पष्ट हो जाएगा और इसे लेकर चल रहा संदेह भी खत्म हो जाएगा। यह कानून मंत्री प्रताप जेना ने गुरुवार को यहां कही।
गौरतलब है कि बुधवार को एक लिफाफा में रत्नभंडार की डुप्लीकेट चाबी मिलने की बात पुरी के जलाधीश अरविंद अग्रवाल ने कही थी। जिलाधीश द्वारा दिए गए बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए जेना ने कहा कि चाबी के लिफाफे पर लिखा गया है कि वर्ष 1985 में इस चाबी का प्रयोग हुआ था। ऐसे में इस डुप्लीकेट चाबी मिलने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। संदेह भी हो रहा है। इन्ही सवाल व संदेह को दूर करने के लिए न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं। चाबी मिलने के बाद सभी संदेह एवं सवाल का जवाब मिल जाएगा।