आतंकियों के निशाने पर पुरी का जगन्नाथ मंदिर, एनएसजी टीम करेगी जांच
इस संबंध में जगतगुरू शंकराचार्य ने कहा है कि 15 साल पहले भी इसी तरह की सूचना मिली थी। उस समय मैं जम्मू काश्मीर में था।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। राज्य एवं देश के करोड़ों भक्तों के आस्था का केन्द्र पुरी श्रीक्षेत्र धाम में मौजूद महाप्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर में संभावित आतंकवादी हमले की खुफिया विभाग की रिपोर्ट आने के बाद नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की टीम आगामी 28 अगस्त को दो दिवसीय दौरे पर पुरी आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार एनएसजी की टीम यहां की गई सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेगी और यदि भविष्य में किसी प्रकार की आतंकवादी गतिविधि यहां होती है, तो उससे किस प्रकार से निपटा जाएगा, व्यवस्था करेगी।
श्रीमंदिर की सुरक्षा में क्या क्या बाधाएं आ रही है, अपने दो दिवसीय दौरे में यह टीम जांच कर इसे कैसे दूर किया जाएगा, सलाह देगी। इस टीम के सलाह के हिसाब से अब आगे सुरक्षा व्यवस्था पर काम किया जाएगा। एनएसजी की पांच सदस्यीय टीम 28 अगस्त को पुरी पहुंचने के बाद दो दिन तक यह टीम श्रीमंदिर के गणेश ढांचा, प्रवेश एवं प्रस्थान मार्ग, भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जांच, पुरी शहर में आने जाने वाले वाहनों की जांच करेगी। इसके अलावा समुद्री तट पर भी जांच करने की योजना है। पुलिस आईजी (आपरेशन) एवं पुरी जिलाधीश तथा एसपी को इस संबन्ध में एनएसजी की तरफ से जानकारी दे दी गई है। एनएसजी स्पेशल कम्पोजिट ग्रुप स्क्वार्डन कमाण्डर मेजर आशुतोष नायक ने सुरक्षा जांच के लिए आने वाली टीम के रहने की व्यवस्था करने के साथ प्राथमिक सर्वेक्षण कार्य में सहयोग करने के लिए पुरी जिलाधीश को पत्र लिखा गया है। पुरी जिलाधीश अरविन्द अग्रवाल ने कहा है कि इसे लेकर किसी प्रकार के भयभीत या डरने की कोई बात नहीं है।
इस संबंध में जगतगुरू शंकराचार्य ने कहा है कि 15 साल पहले भी इसी तरह की सूचना मिली थी। उस समय मैं जम्मू काश्मीर में था। 300 हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने की सूचना आई थी। आज जो यह सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है, वह उसी समय कर देनी चाहिए थी। मगर सरकार शंकराचार्य से सलाह लेना नहीं चाहती है। धार्मिकआध्यात्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था तैयार करना हम चाहते हैं, मगर सरकार नहीं चाहती है। हनुमान से जिस प्रकार से भूत-प्रेत डरते हैं, उसी तरह धार्मिक एवं आध्यात्मिक भाव के सम्मान से सरकार डरती है। क्योंकि यदि सरकार आध्यात्मिक भाव को सम्मान देकर शासन करती है तो फिर उनकी दाल नहीं गलेगी। मुझे दुख लग रहा है कि आज मंदिर के प्रति खतरा मंडरा रहा है। किन्तु यदि सरकार हमसे सलाह लेना नहीं चाहती है तो फिर उनके घर में जाकर सलाह देना हम भी नहीं चाहते हैं।