Odisha: कोरापुट में प्राथमिक विद्यालय पर लगा ताला, वार्षिक परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए परीक्षार्थी
Odisha News कोरापुट जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के 30 से अधिक छात्र स्कूल का ताला नहीं खुलने पर चल रही वार्षिक परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। घटना कोरापुट जिले के नारायणपटना प्रखंड अंतर्गत तुरली प्राथमिक विद्यालय की है।
अनुगुल/भुवनेश्वर, संतोष कुमार पांडेय। एक तरफ जहां राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बड़े बड़े दावे कर रही है वहीं कोरापुट जिले के एक प्राथमिक विद्यालय की घटना ने सरकार के कच्चे चिट्ठे खोल दिये हैं।
कोरापुट जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के 30 से अधिक छात्र स्कूल का ताला नहीं खुलने पर चल रही वार्षिक परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए।
परीक्षा संचालन के लिए कोई भी नहीं था मौजूद
यह घटना कोरापुट जिले के नारायणपटना प्रखंड अंतर्गत तुरली प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को हुई। स्कूल के दो शिक्षकों में से कोई भी स्कूल का ताला खोलने या परीक्षा संचालन के लिए उपस्थित नहीं थे।
प्रखंड शिक्षा अधिकारी रघुनाथ पांगी ने कहा कि मैं मामले की जांच कराऊंगा। यदि परीक्षा नहीं कराई गई है तो संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षकों के न आने से चूके छात्र
करीब दो घंटे तक इंतजार करने के बाद छात्र बिना परीक्षा दिए घर लौट गए। स्कूल का समय सुबह 7 बजे से 9.30 बजे तक है। ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षकों के नहीं आने से स्कूल में ज्यादातर दिन ताला लगा रहता है।
एक ग्रामीण ने बताया कि शिक्षक बहुत कम स्कूल आते हैं जिस कारण शैक्षणिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई है तथा अधिकांश छात्र उड़िया में अपना नाम लिखना भी नहीं जानते हैं।
स्कूल की दूरी बनी परेशानी
जिला मुख्यालय शहर से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्कूल में पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं में 30 से अधिक छात्र और एक प्रधानाध्यापक सहित दो शिक्षक हैं। ग्रामीणों ने दावा किया कि स्कूल दूर होने के कारण शिक्षक स्कूल आने से कतराते हैं।
ग्रामीणों ने कहा कि हमने कई बार संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हम शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं। अन्यथा, हम ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का घेराव करेंगे।
गौरतलब है कि मलकानगिरी जिले में भी ओड़िशा के शिक्षा व्यवस्था की एक भयावह तस्वीर पेश करते हुए खैरपुट प्रखंड का एक स्कूल बिना अपने भवन के केवल कागजों पर सीमित है। स्कूल की कोई स्थायी संरचना नहीं होने के कारण बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं।
इसके अलावा, कुटनीपदर में स्कूल के लिए कोई सड़क नहीं है तथा स्कूल पहुंचने के लिए छात्रों को कम से कम आठ किमी पैदल सफर करना पड़ता है।