राष्ट्रपति ने की देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना
इस अवसर पर श्रीमंदिर प्रशासन की तरफ से महामहिम राष्ट्रपति को प्रसाद एवं चतुर्धार्मूित की एक पटचित्र उपहार स्वरूप दिया गया।
भुवनेश्वर, जेएनएन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को सुबह अपनी पत्नी सविता कोविंद के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच पुरी स्थित श्रीमंदिर पहुंचे और महाप्रभु श्रीजगन्नाथ का दर्शन किया और पूजा अर्चना महाप्रभु का आशीर्वाद लिया। बाद में उन्होंने कहा कि ओडिशा संस्कृति संपन्न राज्य है। महाप्रभु का दर्शन करने का आज मौका मिला। मैंने महाप्रभु से देशवासियों की सुख समृद्धि की कामना की।
इस मौके पर राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय मंत्री धर्र्मेंद्र प्रधान, गजपति महाराज दिव्यसिंहदेव, श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक पीके जेना, राष्ट्रपति के पंडा कृष्णचन्द्र गोच्छिकार एवं अन्य सेवायत उपस्थित थे। इनके अलावा राज्य के मंत्री सह पुरी के विधायक महेश्वर महांती भी वहां पर मौजूद थे पर वह श्रीमंदिर के अंदर नहीं गए। श्रीमंदिर के रिकार्ड से पता चला है कि राष्ट्रपति कोविंद के पिता भी श्रीमंदिर आए थे।
इस अवसर पर श्रीमंदिर प्रशासन की तरफ से महामहिम राष्ट्रपति को प्रसाद एवं चतुर्धार्मूित की एक पटचित्र उपहार स्वरूप दिया गया। इस मौके पर विधायक महेश्वर महांती ने राष्ट्रपति से मिलकर पुरी में एएसआइ का एक स्थाई कार्यालय खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हो जाएगा तो श्रीमंदिर का रखरखाव आसान हो जाएगा। राष्ट्रपति ने महांती की इस मांग पर विचार करने आश्वासन दिया है।
पुरी के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रयासों को सराहा
इसके बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के शतर्वािषकी समारोह में भाग लेते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को संस्कृत भाषा ने ही आज भी सहेज कर रखा है। संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं में सदैव प्रासंगिकता और प्रासंगिक रहने वाले ज्ञान विज्ञान तथा दर्शन को सुरक्षित रखना तथा उसे बदलते युग के साथ आगे बढ़ाने की क्षमता है। जो न सिर्फ हमारे समाज के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभदायक है। एशिया, यूरोप, अमेरिका के अनेकविश्वविद्यालयों में संस्कृति विभागों में अध्ययन व अनुसंधान हो रहे हैं। भारत और विदेश के संस्थानों में विज्ञान और संस्कृति की संपदा को संस्कृति भाषा के जरिए बचाने और बढ़ाने का काम किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
इस संस्थान में कंप्यूटर के प्रयोग को भी सराहा। शताब्दी महोत्सव के अवसर पर पिछले 100 वर्षों में निर्मित अपने स्वस्थ परंपरा को आगे बढ़ाते हुए श्री सदाशिव परिषद संस्कृति भाषा के संबर्धन और भाषा के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे, यही हमारी कामना है। इस अवसर ओडिशा के राज्यपाल डा. एससी जमीर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जुएल ओराम व पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव प्रमुख उपस्थित थे।