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Lord Jagannath: बुखार से पीड़ित भगवान जगन्नाथ की हुई तेल मालिश, जानें-हर साल क्यों हो जाते हैं बीमार; कैसे होते हैं ठीक

Lord Jagannath देव स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान करने के बाद महाप्रभु बुखार से पीड़ित हो गए हैं और इन दिनों जगन्नाथ मंदिर में ही बनाए गए अणवसर गृह में उनका उपचार चल रहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 19 Jun 2022 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jun 2022 08:54 PM (IST)
Lord Jagannath: बुखार से पीड़ित भगवान जगन्नाथ की हुई तेल मालिश, जानें-हर साल क्यों हो जाते हैं बीमार; कैसे होते हैं ठीक
बुखार से पीड़ित भगवान जगन्नाथ की हुई तेल मालिश, जानें-हर साल क्यों हो जाते हैं बीमार; कैसे होते हैं ठीक।

भुवनेश्वर, जागरण टीम। Lord Jagannath: ओडिशा के पुरी जगन्नाथ धाम में विराजमान जगन्नाथ महाप्रभु की लीला अनुपम व अनूठी है। देव स्नान पूर्णिमा के दिन (14 जून को) 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान करने के बाद महाप्रभु बुखार से पीड़ित हो गए हैं और इन दिनों जगन्नाथ मंदिर में ही बनाए गए अणवसर गृह (विश्राम गृह) में उनका उपचार चल रहा है।

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बुखार कम करने के लिए दी जड़ी-बूटियां

दइतापति व पति महापात्र सेवकों को महाप्रभु की इस सेवा के लिए नियोजित किया गया है। ये सेवक प्रभु का बुखार कम करने के लिए विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां देने के साथ ही उनकी सेवा कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को महाप्रभु समेत चतुर्धा विग्रहों की फुलुरी तेल से मालिश की गई है। बड़ ओड़िया मठ की द्वारा यह तेल उपलब्ध कराया गया।

तेल मासिल से मिलता है आराम

इस तेल को तैयार करने के लिए एक साल पहले एक घड़ा तिल्ली (राशि) के तेल में सुगंधित फूल, कपूर, चेरमूल, सुगंधित द्रव्य मिलाकर मिट्टी के नीचे गाड़ दिया गया था। एक दिन पहले इसे निकाला गया। रविवार की दोपहर धूप नीति संपन्न होने के बाद पति महापात्र सेवकों ने इस तेल को दइतापति सेवकों को दिया। तेल मिलने के बाद दइतापति सेवकों ने प्रभु के श्रीअंग में फुलुरी तेल से मालिश किया है। मान्यता है कि तेल मालिश के बाद प्रभु को थोड़ा आराम मिलता है।

इस वजह से हो जाते हैं बीमार 

भगवान जगन्‍नाथ हर साल इन द‍िनों लू लग जाने के कारण बीमार होते हैं। बीमारी के द‍िनों में जगन्‍नाथ का पूरा ख्‍याल रखा जाता है। जगन्‍नाथ के व‍िश्रामगृह‍ में दीप-अगरबत्ती जलाकर रख दी जाती है। बीमारी के द‍िनों वह न राजसी वस्‍त्र पहनते हैं और न सिंहासन पर व‍िराजते हैं। वह एक खाट पर लेटे रहते हैं। व‍िश्रामगृह‍ में ज्‍यादा उजाला भी नहीं किया जाता है।

पिलाया जाता है काढ़ा और परवल का जूस 

इन द‍िनों जगन्‍नाथ को मौसमी फल, परवल का जूस और काढ़ा पिलाया जा रहा है। भक्‍त इन द‍िनों जगन्‍नाथ के दर्शन तो नहीं कर पाते हैं, ले‍कि‍न काढ़ा और जूस उन पर चढ़ाने के बाद भक्‍तों को बांट द‍िया जाता है। कहते हैं इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी से बना काढ़ा पीने से शारीरिक और मानसिक बीमारियां दूर हो जाती हैं।


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