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Odisha Train Tragedy: 'पानी भी लग रहा खून जैसा', बचावकर्मियों के दिमाग पर गहरा असर; कई को भूख लगनी हुई बंद

Odisha Train Tragedy ओडिशा के बालासोर में हुए भयावह रेल हादसे के बाद बचावकर्मियों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर लोगों को बचाने का काम किया है लेकिन अबइस घटना का उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Wed, 07 Jun 2023 10:25 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2023 12:41 PM (IST)
Odisha Train Tragedy: 'पानी भी लग रहा खून जैसा', बचावकर्मियों के दिमाग पर गहरा असर; कई को भूख लगनी हुई बंद
बिगड़ रही ओडिशा हादसे के बचाव‍कर्मियों की मानसिक स्थिति।

भुवनेश्‍वर, जासं। Odisha Train Tragedy: ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने दिन-रात मेहनत कर बेहद ही तेजी से राहत और बचाव के काम किए। इसमें सैकड़ों कर्मी दिन-रात लगे रहे। लगातार शवों और घायलों को निकालने की वजह से कई एनडीआरएफ कर्मियों में अलग ही लक्षण नजर आने लगे हैं।

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बचावकर्मियों का खाना-पीना हुआ बंद

आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन 2023 को संबोधित करते हुए एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने कहा कि मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला। एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है, तो उसे वह खून की तरह लगता है। एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगनी बंद हो गई है।

बचावकर्मियों की कराई जा रही काउंसिलिंग

हाल में दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है।

उन्होंने कहा कि अच्छी मानसिक सेहत के लिए ऐसी काउंसिलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है, जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं। करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95 प्रतिशत कर्मी सही पाए गए।

ओडिशा में भयावह रेल हादसा

गौरतलब है कि यह भयावह हादसा बीते शुक्रवार यानि कि 2 जून को ओडिशा के बालासोर के पास बाहानगा स्‍टेशन के पास हुआ। इसमें तीन ट्रेनें शामिल थीं। एक मालगाड़ी, जो कि लूप लाइन में खड़ी थी और दो सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेनें- शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल सुपर फास्ट एक्सप्रेस और सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनल-हावड़ा सुपर फास्ट एक्सप्रेस, जिनके कुल 17 डिब्‍बे पटरी से उतर गए।

इस दौरान सबसे पहले कोरोमंंडल मालगाड़ी से जा टकराई, जिससे ट्रेन के 12 डिब्‍बे पटरी से उतर गए और कुछ बगल के ट्रैक पर चले गए, जिस पर बेंगलुरु से चली यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस गुजर रही थी। इन डिब्‍बों से यह ट्रेन जा टकराई और भीषण हादसा हो गया। इस दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हुई है और हजारों की तादाद में लोग घायल हुए हैं।


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