ओडिशा सरकार ने सभी शिव मंदिरों में गांजे के उपयोग पर लगाई रोक, कहीं हो रहा विरोध तो कहीं मिल रहा समर्थन
ओडिशा सरकार ने राज्य भर के सभी शिव मंदिरों में गांजा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इसे लेकर ओडिया भाषा साहित्य और संस्कृति विभाग ने सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को पत्रलिखकर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
जागरण टीम अनुगुल / भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने राज्य भर के सभी शिव मंदिरों में गांजा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। ओडिया भाषा साहित्य और संस्कृति विभाग ने सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को लिखे पत्र में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे भगवान शिव मंदिर परिसर में प्रतिबंधित सामग्री के इस्तेमाल को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं।
क्या बोले लिंगराज मंदिर के पर्यवेक्षक
राज्य के इस आदेश पर भगवान लिंगराज मंदिर के पर्यवेक्षक ने कहा कि मंदिर में कभी भी गांजा नहीं चढ़ाया जाता है। मैंने ओडिशा के कई शिव मंदिरों का दौरा किया है लेकिन कहीं भी गांजा नहीं चढ़ाया जाता है। मैं ओडिशा सरकार के कदम का स्वागत करता हूं।
अखंडालमणि मंदिर के सेवक सरकार के इस कदम का क्यों किया विरोध
दूसरी ओर, अखंडालमणि मंदिर के मुख्य सेवक बिजय कुमार दास ने कहा कि 'भगवान शिव के 'घरसाना' अनुष्ठान के दौरान गांजा या भांग का उपयोग किया जाता है और यह सदियों पुरानी परंपरा है। अनुष्ठान के बाद बहुत से भक्तों द्वारा इसका सेवन भी किया जाता है। अगर सरकार भगवान शिव के यहां गांजे के इस्तेमाल पर रोक लगाती है तो हम संबंधित अधिकारियों से चर्चा करेंगे। लेकिन अगर प्रतिबंध का उद्देश्य भक्तों पर है, तो मैं इस कदम का स्वागत करता हूं।
पद्म श्री बाबा बलिया ने क्या कहा
वहीं सरकार के इस कदम पर पद्म श्री बाबा बलिया ने कहा कि हमने सरकार को पत्र लिखकर शिव मंदिरों में गांजा पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है। मैं मंदिरों में वर्जित सामग्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए ओडिशा सरकार को धन्यवाद देता हूं।
गांजा को मंदिर में 'धूप' के रूप में चढ़ाया जा सकता है लेकिन इसे भक्तों के बीच उपभोग के लिए वितरित नहीं किया जाना चाहिए। प्रतिबंध से युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी खतरों पर अंकुश लगेगा।
लिंगराज मंदिर के भक्तों की क्या है राय
भगवान लिंगराज मंदिर के एक भक्त ने कहा कि यह धर्म के खिलाफ है जब कोई हमारे विश्वास पर सवाल उठाता है। हम भगवान शिव को जो अर्पित करते हैं वह हमारी व्यक्तिगत मान्यताएं और मूल्य हैं और इस पर सवाल उठाना सही नहीं है।
हालांकि राज्य के बहुत सारे भगवान शिव के मंदिरों से मिले टिप्पणियों में जहां इस कदम का स्वागत किया है, वहीं यह फैसला कहीं न कहीं एक बड़े विवाद को भी जन्म दे रहा है।