Move to Jagran APP

ओडिशा में अब भ्रष्ट अधिकारियों की खैर नहीं, सरकार ने उठाया ये सख्त कदम

ओडिशा सरकार ने तीन भ्रष्‍ट अधिकारियों को नौकरी से सेवानिवृत्ति दे दी है ओर एक अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 03:23 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 03:23 PM (IST)
ओडिशा में अब भ्रष्ट अधिकारियों की खैर नहीं, सरकार ने उठाया ये सख्त कदम
ओडिशा में अब भ्रष्ट अधिकारियों की खैर नहीं, सरकार ने उठाया ये सख्त कदम

भुवनेश्वर, जेएनएन। ओडिशा सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में स्वच्छता लाने के लिए तीन भ्रष्ट अधिकारियों को उनकी नौकरी की अवधि पूरी होने से पहले ही सेवानिवृत्ति दे दिया है। इसके साथ ही अन्य एक अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। सरकार ने अपने इस कदम के जरिए यह प्रशासनिक स्तर पर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भ्रष्ट अधिकारियों का प्रशासन में अब कोई स्थान नहीं है। यहां उल्लेखनीय है जिन तीन अधिकारियों को सरकार ने सेवानिवृत्त किया है उन अधिकारियों के नाम पर विजिलेंस विभाग में मामला दर्ज है। 

loksabha election banner

जानकारी के मुताबिक इन अधिकारियों में ढेंकानाल सड़क परिवहन अधिकारी बसंत कुमार बेहेरा, संबलपुर उप आबकारी कमिश्नर दिलीप कुमार नाग, खड़ियाल डिवीजन में कार्यरत उप वन संरक्षक शरत चन्द्र पंडा का नाम शामिल है जिन्हें सरकार ने सेवानिवृत्त दे दिया है जबकि पहले से ही निलंबित खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी अशोक कुमार माझी को अब सरकार ने नौकरी से बर्खाश्त कर दिया है। यहां उल्लेखनीय है कि पिछले अगस्त एवं सितम्बर महीने में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भ्रष्टाचार के आरोपी 37 सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त किया था जबकि छह सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन बंद करने के लिए निर्देश दिया था, जिसके तहत यह कार्रवाई की गई है। 

सड़क परिवहन अधिकारी बसंत कुमार बेहेरा ढेंकानाल में आरटीओ के तौर पर काम करते समय विजिलेंस विभाग ने उनके नाम पर दो मामला दर्ज किया था। उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। विजिलेंस विभाग ने उनके पास से तीन करोड़ 61 लाख रुपये की संपत्ति बरामद की थी। उसी तरह से संबलपुर उप आबकारी कमिश्नर दिलीप कुमार नाग सन् 2012 में जब कटक में उप आबकारी कमिश्नर थे तब विजिलेंस विभाग ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। उनके पास से डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति उस समय जब्त की गई थी। इसके बाद उन्हें 20 नवम्बर 2012 को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि सरकार ने 2015 में उनका निलंबन वापस ले लिया था। खड़ियाल डिवीजन में कार्यरत उप वन संरक्षक शरत चन्द्र पंडा के नाम पर भी 2017 में आय से अधिक संपत्ति होने के मामले में गिरफ्तार किया गया था और नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। उनके पास से 5 करोड़ 23 लाख 60 हजार रुपये की संपत्ति जब्त हुई थी।

पिछले 21 जून को सरकार ने उनके पर लगे निलंबन आदेश को वापस ले लिया था। उसी तरह से अशोक कुमार माझी के नाम पर एक नहीं बल्कि दो-दो विजिलेंस मामले थे। उन्हें हाल ही में आए चक्रवात फणि के समय दायित्व में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया था, अब सरकार ने उन्हें नौकरी से ही बर्खाश्त कर दिया है। यहां उल्लेखनीय है कि सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ यह कदम उठाते हुए यह साफ संकेत दिया है कि अब भ्रष्ट अधिकारियों की राज्य प्रशासन में कोई स्थान नहीं है।

Durga Puja 2019: कहीं सजा है नेपाल का जानकी मंदिर तो कहीं बाहुबली का आलीशान महल

 देश के इस राज्य में आतंकी हमले की आशंका, हाई अलर्ट जारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.